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रांची : झारखंड की राजधानी रांची से 15 किलोमीटर दूर स्थित पिस्का नगड़ी की एक बेटी की उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में खुलेआम बोली लगायी जा रही थी. 20 साल से 80 साल तक की उम्र के लोग 16 वर्ष की किशोरी की कीमत लगान के लिए जुटे थे. 50 हजार रुपये से बोली शुरू हुई, जो 80 हजार रुपये तक पहुंची. जो भी बोली लगाता, वह उस किशोरी को छूता. छूते ही वह रोने लगती. रो-रोकर उसकी आंखें लाल हो गयी.
इसी दौरान किसी ने पुलिस को सूचना दी. जैसे ही पुलिस वहां पहुंची, मौजूद लोगों में भगदड़ मच गयी. सारे खरीदार भाग गये. 2 महिला समेत 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. किशोरी को भी पुलिस अपने साथ ले गयी. महिला सेल में वह अपने परिजनों का इंतजार कर रही है. बुलंदशहर के अहमदगढ़ के थाना प्रभारी धनेंद्र यादव ने बताया कि 16 साल की इस किशोरी को उसकी सौतेली मां ने पिस्का नगड़ी की महिला कलावती के हाथों 50 हजार रुपये में बेच दिया.
कलावती उसे लेकर नौरंगाबाद गांव पहुंची. यहीं उसने उसकी बोली लगवायी. किशोरी की कीमत जब 80 हजार रुपये तक लग गयी, तब पुलिस वहां पहुंची. पुलिस ने यहां से कलावती, खुर्जा की रहने वाली राजेश देवी समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इसमें धीरेंद्र, औरंगाबाद के गांव गंगाहारी निवासी जितेंद्र, इंद्र सिंह, अहमदगढ़ के नौरंगाबाद निवासी महेंद्र शामिल हैं. यहां से 12 हजार रुपये भी पुलिस ने बरामद किये.
दरोगा रामगोपाल की तहरीर पर सभी 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कलावती नौरंगाबाद के महेंद्र के घर लड़की लेकर पहुंची. आसपास खबर भेजी गयी, तो लड़की देखने और खरीदने वालों की भीड़ जुट गयी. लाइन लगी, जिसका नंबर आता, वह रुपये बोलता और लड़की से बात करता. लड़की को जब पता चला कि उसकी बोली लगायी जा रही है, तो उसकी आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी. लेकिन, किसी को उस पर तरस नहीं आया.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि रांची की रहने वाली कलावती कई लड़कियों को उत्तर प्रदेश में बेच चुकी है. वह झारखंड के अलग-अलग इलाकों से 30-50 हजार रुपये में लड़कियां खरीदती है और उत्तर प्रदेश के बागपत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर जैसे इलाकों में एक लाख रुपये तक में बेच देती है.
कलावती को झारखंड पुलिस ने वर्ष 2018 में ऐसे ही एक मामले में गिरफ्तार किया था. उसे रांची महिला थाना के हवाले कर दिया गया था. तब उसने जिस नाबालिग को शिकार बनाया था, वह नगड़ी की रहने वाली नहीं थी. वहां किराये के एक मकान में रहती थी.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि झारखंड से हर साल हजारों बच्चियों और महिलाओं की तस्करी होती है. आमतौर पर यहां की लड़कियों और महिलाओं को दिल्ली में बड़े घरों में काम करने के लिए बेचा जाता है, लेकिन यह अपनी तरह का अलग ही मामला है. सरकार और पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद झारखंड में मानव तस्करों का यह खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है.