Ranchi : झारखंड सरकार द्वारा लागू नियोजन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के फैसले को गलत करार दिया है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद अब झारखंड में वर्ष 2016 में बनी नियोजन नीति लागू नहीं होगी. हाइकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बृहद खण्डपीठ ने सर्वसम्मति से यह आदेश पारित किया है. तीन जजों की बृहद खण्डपीठ में जस्टिस एचसी मिश्र,जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन शामिल हैं.
यहां बता दें कि अब तक सरकार की नियोजन नीति में अनुसूचित जिलों में गैर अनुसूचित जिलों के लोगों को नौकरी के लिए अयोग्य माना गया था. जबकि अनुसूचित जिलों के लोग गैर अनुसूचित जिले में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे. लेकिन हाइकोर्ट के आदेश के बाद अब झारखंड के किसी भी जिले का निवासी राज्य के किसी एक जिले से नौकरी के लिए आवेदन दे सकता है.
प्रार्थी सोनी कुमारी ने दायर की थी याचिका
नियोजन नीति को चुनौती देते हुए प्रार्थी सोनी कुमारी के द्वारा याचिका दायर की गयी थी. जिसमें कहा गया था कि प्रार्थी गैर अनुसूचित जिले की रहने वाली है और उसने दूसरे जिले में हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था.
लेकिन उनका आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि वह गैर अनुसूचित जिले की हैं. आवेदन रदद् किये जाने के बाद प्रार्थी के द्वारा हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की गयी थी.अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उनमें जो बहाली थी, उनको रद्द करते हुए सरकार दोबारा नियुक्ति नीति प्रक्रिया शुरु करें
21 अगस्त को झारखंड हाइकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की बृहद खंडपीठ में इस मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने राज्य की नियोजन नीति को सही ठहराते हुए अदालत में कहा कि झारखंड में कई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही यह नीति बनायी गयी है.