1800 के दशक में दक्षिण भारतीयों क्या खाते थे?

पर प्रकाशित जन॰ 23

0 टिप्पणि

1800 के दशक में दक्षिण भारतीयों क्या खाते थे?

दक्षिण भारतीयों के लिए 1800 के दशक में असाधारण भोजन के रूप में चावल का महत्व

पूर्ण हिस्सा था। इसके अलावा मुंग दाल, दाल और गेहूं भी खाया जाता था। दक्षिण भारत में दूध और दूध प्रोडक्ट्स जैसे केक, जुगारी, मिठाई आदि भी खाये जाते थे। साथ ही नारियल, आम, आलू, कलामती आदि भी प्रकार-प्रकार के सब्जियां खायी जाती थीं।

प्राचीन दक्षिण भारतीयों के दिनों में कौन से सब्जियां खाते थे?

प्राचीन दक्षिण भारतीयों के दिनों में, वे हमेशा से दो प्रकार के खाने खाते थे - दोनों भी त्यागी और अनुप्रयोगी होते थे। त्यागी खाने में गोभी, अनाज, दलहन, गुड़, जौ आदि की सब्जियां शामिल थीं। अनुप्रयोगी खाने में सेब, अनाज, सूखे फल और सेम शामिल थे। कुछ आवश्यक एवं मुल्यवान सामग्री में भी वे कुछ खाते थे, जैसे कुर्बी, गुड़, चीनी और तिल।

दक्षिण भारतीयों के लिए 1800 के दशक में दूध और दूध उत्पादों की महत्वपूर्णता

थी। यह उत्पादों में शायद गाय दूध, भेड़ दूध, कैकोरी और दही शामिल थे। इसके अलावा, दक्षिण भारतीयों के द्वारा कुछ स्वादिष्ट भोजनों के रूप में चावल, रोटी, गुड़, जैसे उत्पादों भी खाए गए। इसके अलावा, स्वादिष्ट सब्जियां भी खाई जाती थीं, जैसे कि आलू, गाजर, शलजुम और तरबूज। लोग उन्हें गुड़ और दाल के साथ खाते थे।

पर साझा करें

एक टिप्पणी लिखें