Ranchi: सर सैयद अहमद खां की 204वीं जयंती के अवसर पर राँची इस्थित अंजुमन इस्लामिया मुसाफिरखाना में झारखंड छात्र संघ, आमया संगठन, अंजुमन फरोग़-ए-उर्दू द्वारा संयुक्त रूप से उर्दू मिलन समारोह का आयोजन किया गया, समारोह में समाजिक संगठनों और उर्दू के जानकार लोग शामिल हुए।
समारोह के अध्यक्षता कर रहे S अली ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में उर्दू शामिल है,
बिहार सरकार ने 1981 में उर्दू को द्वितीय राजभाषा की मान्यता दी, झारखंड अलग राज्य बनने पर बिहार पुर्नगठन अधिनियम 2000 के नियम 84 के तहत उर्दू को द्वितीय राजभाषा के रूप में रखा गया, वही वर्ष 2007 में अधिसूचना 6807 जारी कर उर्दू को 24 जिलों में द्वितीय राजभाषा घोषित किया गया।
उर्दू विषय की पढ़ाई प्रथामिकी स्कूल से लेकर पीजी तक में होती है।
वही संविधान के अनुच्छेद 350ए के आधार पर झारखंड सरकार ने वर्ष 2003 संकल्प 1278 जारी कर मातृभाषा उर्दू में प्राथमिक शिक्षा देने का निर्देश दिया है,
झारखंड विधानसभा, सचिवालय, ज़िला और प्रखंड मुख्यालय में उर्दू अनुवाद और उर्दू टंकक सैकड़ो की संख्या में कार्यरत है।
डीप्टी कलेक्टर मोजाहिद अंसारी ने कहा भाषा लोगों को जोड़ने का माध्यम है, समाज को उर्दू संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।
डां मुजफ्फर हुसैन उर्दू के इतिहास पर विस्तृत बातें करते हुए जनजाति शोध संस्थान की तर्ज पर उर्दू शोध संस्थान की स्थापना की मांग की।
मिलन समारोह उपस्थित वक्ताओं ने
महागठबंधन सरकार से मांग किया कि।
(1) द्वितीय राजभाषा उर्दू के लिए 2007 में जारी अधिसूचना के सात निर्देशों को लागू किया जाए।
(2) प्रारम्भिक विधालय 4,401 उर्दू शिक्षक के रिक्त 3712 पदों को एनसीटीई के निर्देशानुसार स्नातक टेट उत्तीर्ण से भरा जाए।
(3) प्लस टू विधालयों में हाईकोर्ट द्वारा 2018 में दिये निर्देशों के अनुसार उर्दू शिक्षक पद सृजित किया जाए।
(4) उर्दू शिक्षक में आरक्षित पद नही भरने की स्थिति में समान्य एवं पिछड़ी जातियों से भर जाए।
(5) प्रारम्भिक विधालय की किताबें उर्दू भाषी छात्रों को उर्दू लिपि में उपलब्ध कराया जाए।
(6) आठवीं से बारहवीं वर्ग तक उर्दू विषय की सिलेबस दिया जाए।
(7) उर्दू शिक्षकों का पदास्थापन या स्थानांतरण वैसे विधालयों में हो जहां उर्दू भाषी छात्र पढ़ते है।
(8) योजना मद में बहाल प्राथमिक उर्दू शिक्षकों को गैर-योजना मद में किया जाए।
(9) उर्दू एकेडेमी का गठ़न जल्द किया जाए।
सभा को रेहान अखतर, फजलूल कदीर, अकील उर रहमान, नेहाल अहमद, नौशाद आलम, लतीफ़ आलम, मो फुरकान, जियाउद्दीन अंसारी, इकराम हुसैन, अरशद जिया, दानिश आय़ाज, मो इक़बाल, मो सईद, अबरार अहमद, निकहत परवीन, आयाशा परवीन आदि ने अपनी बातों को रखा