अफगानिस्तान पर अब तालिबान ने किया क़ब्ज़ा
Delhi: काबुल: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है. सूत्रों की मानें तो सत्ता हस्तांतरण के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने देश छोड़ दिया है, और वे ताजिकिस्तान के लिए रवाना हो गए हैं. वहीं भारत समेत कई देश अपने-अपने नागरिकों और राजदूतों को रेस्क्यू करने में जुटे हुए हैं.
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति ने कहा- तालिबान के साथ नहीं रह सकते
इधर, अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा कि वह तालिबान के साथ नहीं रह सकते हैं. उन्होंने कहा- मैं तालिबान के आगे कभी नहीं झुकेंगे. मैं लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा. लाखों लोगों ने मुझ पर भरोसा किया है. दूसरी तरफ, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपतित हामिद करजई ने लोगों से अपील की है कि वह अपने घरों में ही रहें. उन्होंने कहा कि बातचीत से हल निकालने की कोशिश की जा रही है.
इससे पहले राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में प्रवेश से पूर्व रविवार सुबह चरमपंथी संगठन ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया था. इसके कुछ घंटे बाद रविवार को अमेरिका के बोइंग सीएच-47 हेलीकॉप्टर यहां अमेरिकी दूतावास पर उतरे. काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा इकलौता प्रमुख शहर था जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था. यह पाकिस्तान से लगती एक प्रमुख सीमा के निकट स्थित है. अब अफगानिस्तान की केंद्रीय सरकार के अधिकार में देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से काबुल के अलावा छह अन्य प्रांतीय राजधानी ही बची हैं.
तालिबान ने काबुल में घुसने से पहले जलालाबाद पर किया कब्जा
अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई. हालांकि अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है. दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया जिसकी वजह अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाना है.
अमेरिकी दूतावास के निकट सिकोरस्की यूएस-60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी उतरे. इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल आमतौर पर सशस्त्र सैनिकों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है. चेक गणराज्य ने भी अपने दूतावास से अफगान कर्मियों को निकालने की योजना को मंजूरी दे दी है. इससे पहले उसने अपने राजनयिकों को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पहुंचा दिया.