रिपोर्ट शकील अहमद
कैरो ( लोहरदगा ) : रमजानुल महीने का आखरी जुमा अलविदा की जुमा कोरोना महामारी के कारण दूसरे वर्ष भी फीका रहा सामान्य वर्षो में जहां अलविदा की जुमा के दिन मुस्लिम धर्मावलम्बी सज संवरकर खुसी खुसी मस्जिद आते थे मस्जिदों को भी सजाया सँवारा जाता था,इस दिन सभी लोग नमाज में शामिल होते थे जिसके कारण मस्जिदों में काफी भीड़ भाड़ रहती थी परन्तु विगत दो वर्षों से अलविदा तो अलविदा ईद का नमाज भी लोग ईदगाहों में अदा नही कर पा रहे है।इस वर्ष भी बहुत से लोग अलविदा जुमा की नमाज मस्जिदों में नही पढ़ पाए।लोग अपने आने घरों में ही जोहर की नमाज अदा किये।मौके पर मौलाना आजाद वेलफेयर सोसाइटी के पूर्व सदर व आजीवन संरक्षक अलीरजा अंसारी ने कहा कि रमजान उल मुबारक महीना हमसे रुखसत होने को है।रहमतों,बरकतों व मगफिरत वाला यह महीना हमे आपस मे प्यार व मोहब्बत करने,अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने की सिख देती है।रमजान के आखरी अशरा मगफिरत का चल रहा है हम सबको ज्यादा से ज्यादा तोबा अस्तग़फ़ार करना चाहिये अल्लाह से रो रो कर गिड़गिड़ाते हुए अपने गुनाहों से तोबा करते हुए मगफिरत की दुआ करनी चाहिये।साथ ही साथ अभी जो देश दुनिया का हालात है कोरोना महामारी चारो ओर तबाही मचा रही है इससे भी निजात दिलाने की दुआ कसरत के साथ करनी चाहिए और दुख की इस घड़ी में हम मुसलमानों को पूरे इंसानियत के लिए काम करना चाहिये।