राँची: होटल लैंडमार्क में झारखंड विकास मोर्चा के महासचिव और मांडर विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायक बंधु तिर्की ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।
प्रेस को संबोधित करते हुए बंधु तिर्की ने कहा
झारखंड बनने के 19 साल बाद पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 विधानसभा क्षेत्रों में से 26 सीट पर भाजपा के खिलाफ आदिवासियों ने खुलकर वोट किया है हम कह सकते हैं कि भाजपा शासन के विगत 5 वर्षों का इनकी झारखंड विरोधी नीतियों का आदिवासियों ने लगातार प्रतिरोध किया है इसीलिए नई सरकार को आदिवासियों में व्याप्त इन गहरे असंतोष के पीछे के कारणों की पड़ताल करनी होगी आदिवासी समुदाय में व्याप्त गहरे असंतोष का एक प्रमुख कारण इनकी जमीन से संबंधित समस्या है इनकी जमीन उनके कागजात सुरक्षित नहीं है तो दूसरे और इनके धार्मिक पारंपरिक स्थलों पर अतिक्रमण हो रहा है जितने भी लंबित सर्वे वन का कार्य हो उसे यथाशीघ्र अंतिम रूप से प्रकाशित करना होगा यह सर्वे 1977-1978 1990-91 का सर्वे हुआ है अंतिम रूप से प्रकाशित किया जाना चाहिए।
लैंड बैंक को पूरा समीक्षा करना होगा ऑनलाइन से संबंधित त्रुटियों को निश्चित अवधि के अंतर्गत दूर करना होगा जो पदाधिकारी कर्मचारी अगर उस को शुद्ध करने में विलंब करते हैं उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए भू व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए वह का एवं काश्तकारी अधिनियम सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए जिसमें 1 विशेषज्ञों का समूह होना चाहिए जो प्रशासनिक पदाधिकारियों को मार्गदर्शन।
झारखंड के पिछली सरकार ने पेशा कानून को लागू करने के लिए न्याय संगत नियम नहीं बनाया उल्टे कैसा कानून की मूल भावना के विपरीत ग्राम विकास समिति आदिवासी विकास समिति बनाकर संवैधानिक संस्था ग्राम सभा को कमजोर करने एवं प्रभावहीन बनाने का आदिवासी विरोधी काम किया जिससे आदिवासी समाज मैं आक्रोष उपजा।
पेसा कानून आदिवासी हितेषी कानून है और पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पांचवी राज्य व्यवस्था को आदिवासी परंपरा रूढ़िवादी रीति रिवाज के अनुरूप लागू करने का संवैधानिक प्रावधान है आदिवासी भाषा पहचान तौर-तरीकों सामुदायिक अधिकार को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है
ग्राम विकास विभाग पंचायती राज्य टोटके प्रस्ताव जिसमें आदिवासी विकास समिति और ग्राम विकास समिति के गठन के बाद को 13 मार्च 2018 को कैबिनेट में मंजूरी दी गई जिससे ग्राम सभा को समानांतर संगठन खड़ा करने का काम सरकार के इस फैसले 13 मार्च 2018 से हुआ इन विकास समितियों का गठन और इसके द्वारा ग्राम विकास का काम कराया जाना ना सिर्फ संविधान के 13वें संशोधन के खिलाफ है।
झारखंड राज्य के आदिवासी क्षेत्र में शेड्यूल एरिया में लागू पांचवी अनुसूची का खुला उल्लंघन है 13 मार्च 2018 कैबिनेट के इस फैसले को रद्द करने की मांग सरकार के माध्यम से हम करते हैं।
आदिवासी अधिकारों को संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची में विस्तार रूप में दिया गया है जिसमें कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्र शेड्यूल एरिया में आदिवासियों की रूढ़िवादी तथा को विधि कानून का बल प्राप्त है यह संविधान में यह व्यवस्था है जिसमें स्वतंत्र भारत में आदिवासियों की भागीदारी शासन में सुनिश्चित होती है झारखंड पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आता है इसमें पीएसी और ग्राम सभा को शासन का आधार बनाया गया है 1996 ईस्वी में संसद से पैसा कानून पारित हुआ जिसमें शेड्यूल एरिया अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा की भूमि का फैसला को सर्वोपरि माना गया है। गांव की सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ग्राम सभा को विशेष शक्तियां सौंपी गई हैं साथ ही झारखंड में पंचायती राज अधिनियम की धारा 10 में भी ग्रामसभा को अधिकार एवं कार्य दिए गए हैं।
जनजातीय उपयोजना आदिवासी अनुसूचित जाति उपयोजना दलित ट्राईबल सब्पलान के रूप में जाने जाने वाली योजनाएं सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं देश के नीति निर्माताओं ने संविधान में आदिवासी दलित समाज के उत्थान के लिए सस्वर्गिन आज मीटिंग है विकास के लिए व्यवस्था की गई है अनुच्छेद 146 भारत का संविधान कहता है कि राज्य कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा एवं आर्थिक हितों का विशेष ध्यान रखकर उन्हें प्रोत्साहित करेगा खासकर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति का।
सरकार से मेरा अनुरोध होगा कि TSP/SC-ST की जो वित्तीय आवंटन है उसका विचलन अन्य सामान्य कार्यों के लिए किसी भी कीमत पर ना हो फंड का डायवर्सन रोका जाना चाहिए देखा गया है कि गाइडलाइंस के मुताबिक जनसंख्या के अनुपात में राशि का प्रावधान तो कर दिया जाता है परंतु आबादी के अनुपात में फंड देना ही पर्याप्त नहीं है यह देखा जाना ज्यादा जरूरी है इस राशि का उपयोग कैसे और किस तरह से कहां-कहां हो रहा है यह बिल्कुल जरूरी है कि इस राशि का उपयोग लक्षित समूह यानी ST/SC की आबादी/परिवारों/ वक्तयो के हित में हो रहा है या नहीं।