यहां आज भी चट्टानों के बीच स्थित डोभा के गंदा पानी से लोग है आश्रित
भंडरा । प्रखंड मुख्यालय से पूर्व दक्षिण दिशा में पांच किमी दूर स्थित पहाड़ी पर बसे आम बागवानी के लिए प्रसिद्ध गांव धनामुन्जी में आज भी कई समस्याएं विराजमान हैं। सबसे बड़ी समस्या पेयजल ही है। पेयजल के साथ यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, सिचाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। इससे लोग ग्रसित हैं। आदिवासी बहुल इस गांव के लोगों ने चट्टान पर ही अपना आशियाना बनाया है। गांव की महिलाओं ने गांव की समस्या बताया हुए कहा कि यहां पेयजल का घोर अभाव है। ग्रामीण चट्टानों के बीच स्थित डोभा में जमा हुए गन्दा पानी से बर्तन धोने सहित कई काम करते है । पानी की समस्या को देखते हुए गांव में रिस्तेदार भी गांव में आने से कतराते है । गर्मियों में यहां के लोगों को एक किलोमीटर दूर खेतो में स्थित कुवा के अशुद्ध पानी का इस्तेमाल पेयजल के रूप में करना पड़ता है। पहाड़ी पर बसे होने से यहां के कुएं व चापानल के पानी का लेयर काफी नीचे चला जाता है। अभी से ही यहां पेयजल की समस्या मंडराने लगी है। ग्रामीणों ने गांव की स्वास्थ्य सुविधा पर चर्चा करते कहा कि यहां के लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रखंड मुख्यालय तथा जिला मुख्यालय ही एकमात्र सहारा है। गांव के किसानों ने बताया कि गांव में सिचाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। कृषि कार्य के लिए यहां के लोग प्रकृति पर ही आश्रित हैं। गांव में शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल ठीकठाक तो नही है। गांव में छोटे बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय जाते है। तथा उच्च शिक्षा के लिए गांव से पांच किमी दूर प्रखंड के विद्यालय एवं प्लस टू उच्च विद्यालय संचालित है। इससे यहां की बच्चियां भी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। गांव की आबादी करीब चार सौ की आबादी है। अधिकांश ग्रामीणों आम की बागवानी सहित अन्य खेती बाड़ी में ही निर्भर है ।
भंडरा के धनामुन्जी गांव में पेयजल का घोर अभाव
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