मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों के वेतन सर्वेक्षण किया जाएगा
रांची: जमीयत उलेमा हिन्द झारखंड की दीनी तालीमी बोर्ड की अहम बैठक शनिवार को चान्हो प्रखण्ड के टांगर स्थिति मदरसा मदीनातुल उलूम में हुई। बैठक की अध्यक्षता जमीयत उलेमा चान्हो के प्रखण्ड अध्यक्ष हजरत मौलाना इदरीस ने की। बैठक का संचालन जमीयत उलेमा रांची के महासचिव हजरत मौलाना अब्दुल कय्यूम कासमी कर रहे थे। बैठक में बड़ी संख्या में उलेमा, इमाम और जमीयत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक की शुरुआत कारी सदरुद्दीन की तिलावत कलाम पाक से हुई। हजरत मौलाना अबुल कलाम मजाहरी द्वारा बैठक का एजण्डा प्रस्तुत किया गया।
हाफिज अब्दुल अजीज ने बैठक को संबोधित करते हुए उलेमा की जिम्मेदारियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने दारुल उलूम देवबंद की स्थापना के उद्देश्यों के बारे में बात की। मौलाना जाहिद इकबाल कासमी ने कहा कि हमारे ज्ञान से लोगों को कैसे लाभ पहुंचे, हम हर क्षेत्र में कैसे नेतृत्व कर सकते हैं, हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है।। जमीयत उलेमा झारखंड के कार्यवाहक महासचिव मुफ्ती मोहम्मद कमर आलम कासमी ने दीनी तालीम ( धार्मिक शिक्षा) पर जोर देते हुए कहा कि आज नौजवान लड़के एवं लड़कीयां दीन से भटक कर गलत कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनयावी तालीम के साथ ही दीनी तालीम भी अतिआवश्यक है। हजरत मौलाना असगर मिस्बाही अध्यक्ष जमीअत उलेमा रांची ने धार्मिक शिक्षा के महत्व और आवश्यकता पर की। अंत में सर्वसम्मति से कई अहम सुझाव रखे गए। बैठक में निर्णय लिया गया कि चान्हो प्रखण्ड के जिन गांवों में दीनी मकतब नही है वहां मकतब खोला जाएगा और शिक्षक का व्यवस्था की जाएगी साथ ही जहां मकतब हैं वहां बेहतर शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। प्रखण्ड के लगभग 47गांवों को चार भागों में बांट कर अलग अलग दिनों में बुध्दिजीवों के साथ बैठक की जाएगी। प्रखण्ड के सभी गांवों के मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों के वेतन सर्वेक्षण किया जाएगा। जीमयत उलेमा की अगली बैठक पन्डरी में 31 अगस्त को होगी।
आज की बैठक में मुफ्ती कमर आलम कासमी, मौलाना अब्दुल कय्यूम कासमी, हाफिज तजम्मुल हसन, मौलाना फैजुर रहमान, हाफिज अताउल्लाह, कारी कौसर, मौलाना वसीम मजाहरी, मौलाना अब्दर रज्जाक, मौलाना मतीउल हक, मौलाना तैमुल इस्लाम , मौलाना मुहम्मद अफरोज, मौलाना अबुल कलाम, मौलाना जाहिद, हाफिज फुरकान, हाफिज जावेद अख्तर, हाफिज सोहेल, हाफिज मुहम्मद मुंतजिर आलम, हाफिज इश्तियाक, रहमतुल्लाह अंसारी और मास्टर इजहारउल हक के अलावा कई अन्य लोग मौजूद थे।