गबन के आरोपियों से मिली भगत कर उनसे पैसे लेकर खुली छूट देने के मामले में हुई कार्रवाई, 9.30 करोड़ का हुआ था महाघोटाला
एसडीपीओ पर आरोपियों से पंद्रह लाख लेकर गिरफ्तार नहीं करने का लगा था गंभीर आरोप, डीआईजी ने केश की समीक्षा के दौरान पकड़ी थी गड़बड़ी
चतरा में करीब दो वर्ष पूर्व साढ़े नौ करोड़ रुपये के हुए महाघोटाले मामले में डीआईजी ने बड़ी कार्रवाई की है। उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के डीआईजी पंकज कंबोज ने गबन के आरोपियों से मिलीभगत कर उनसे पैसे लेकर उन्हें खुली छूट देने के आरोप में एसडीपीओ चतरा वरुण रजक पर कार्रवाई करते हुए उनकी केश से छुट्टी कर दी है। साथ ही एसपी और अनुसंधानक को आठ बिन्दुओ पर विशेष जांच का निर्देश दिया है। जिसमे केश के आरोपी सेनवर्ड संस्था की पूर्ण जानकारी एकत्र करने, संस्था कहां से रजिस्टर्ड है और इसके पदाधिकारी और सदस्य कौन-कौन हैं, तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी आशुतोष कुमार ने कार्यालय में आग लगने की सूचना सदर थाना प्रभारी को दी थी। फिर भी कार्यालय द्वारा आईडीबीआई के खाते का विभागीय पुराना चेक 6.50 हजार रुपये का सेनवर्ड संस्था के नाम पर निर्गत किया गया। जबकि चेक में हस्ताक्षर करने की बात से तत्कालीन डिडब्ल्यूओ आशुतोष कुमार ने साफ इंकार किया है, चेक पर हुए हस्ताक्षर की जांच कलकत्ता से कराने, प्रयास संस्था को 2, 25, 41, 497 रुपये जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यालय से विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित किए गए थे। इसलिए इससे संबंधित योजनाओं के पेपर कार्यालय से जप्त करने, जिला कल्याण पदाधिकारी के पदनाम से जिले के विभिन्न 12 बैंक शाखाओं में खाता संचालित है। गबन की राशि विभिन्न चेक के जरिए अलग-अलग खातों में भेजी गई है। उन सभी एकाउंट के बारे में पूरी जानकारी एकत्र करने, किस खाते में कितना पैसा ट्रांसफर हुआ है उसकी भी पूरी जानकारी एकत्र करने, इस केश का अनुसंधान डीएसपी रैंक के दूसरे अफसर से कराने, केश को विशेष निगरानी कोर्ट में ट्रांसफर करने व चतरा एसडीपीओ द्वारा बरती गई लापरवाही व भ्रष्टाचार को देखते हुए उसको केश से दूर रखने का निर्देश शामिल है। इसके अलावे डीआईजी ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करते हुए न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित करने व निर्देशों का अक्षरसह अनुपालन कर प्रगति प्रतिवेदन डीआईजी कार्यालय में प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।