Home Jharkhand News Chatra नौ करोड़ के घोटाले के आरोपियों को को बचा रहे पुलिस अफसर

नौ करोड़ के घोटाले के आरोपियों को को बचा रहे पुलिस अफसर

एसडीपीओ वरूण रजक पर पंद्रह लाख लेने का आरोप

डीआईजी हजारीबाग ने केस की समीक्षा के दौरान पकड़ी पुलिस की गड़बड़ी, पुलिस व सीआईडी मुख्यालय को भेजा रिपोर्ट

अखिलेश सिंह, हिंदुस्तान, रांची : चतरा में कल्याण विभाग में हुए नौ करोड़ से अधिक के महाघोटाले के आरोपी अफसरों को पुलिस अधिकारी बचा रहे हैं। आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस अफसर सीबीआई व सीआईडी जैसी जांच एजेंसियों को पत्र लिखकर जांच को टाल रहे हैं। मामले की समीक्षा के दौरान डीआईजी हजारीबाग पंकज कंबोज ने इस मामले को पकड़कर इससे संबंधित विस्तृत रिपोर्ट पुलिस और सीआईडी मुख्यालय को भेजा है। पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि डेढ़ साल से आरोपी अफसरों को बचाने के लिए जांच एजेंसियों से पत्राचार का सहारा लिया जा रहा है। पूरे मामले में चतरा के एसडीपीओ वरूण रजक की भूमिका सर्वाधिक संदेहास्पद बतायी गई है। आरोप है कि आरोपियों में से एक आरोपी को बचाने के लिए रांची में पोस्टेड एक डीएसपी ने मध्यस्था की है। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने के एवज में घोटालेबाज अफसर ने एसडीपीओ को मीडियेटर डीएसपी के माध्यम से पंद्रह लाख रूपये दिए हैं। जांच में हजारीबाग डीआईजी ने पैसे लेने संबंधी आरोप की पुष्टि तो नहीं की है, लेकिन आरोपियों को राहत देने की बात की पुष्टि जांच में हुई है।

क्या है मामला

चतरा में जिला कल्याण से 9.30 करोड़ रूपये की राशि की अनियमिता हुई थी। इस मामले में चतरा के सदर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में चतरा के वर्तमान कार्यपालक दंडाधिकारी व तात्कालिन जिला कल्याण पदाधिकारी आशुतोष कुमार, पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी व वर्तमान में अपर निर्वाचन पदाधिकारी भोलानाथ लागुरी, कल्याण शाखा के नाजिर इंद्रदेव प्रसाद, केनवर्ड कंपनी के सिद्धार्थ कुमार, सुनीता देवी, लक्ष्मी कुमारी, मनोज कुमार, राहुल प्रसाद, निर्मल प्रसाद मेहता, विकास तुलसी प्रसाद, ताला बेला हेंब्रम, विलास राम, शांति बिरहोरिन, संगीता देवी, प्रयास संस्था के मुरली श्याम, अभय कुमार, सुजंती देवी, एबीबी सहाय, अन्नया इंफोटेक के टुनटुन कुमार मेहता, चतरा इंस्टीच्यूट आफ टेक्नोलॉजी के मो शहाबुद्दीन बाड़ी, सूरज अग्रवाल, रूपा देवी, आशीष कुमार, मिथलेश मिश्रा, नाजिर इंद्रदेव प्रसाद की पत्नी सुनीता देवी, बेटी चंद्रा प्रसाद, तारा प्रसाद, बेटा पृथ्वी प्रसाद व सूरज प्रसाद को सरकारी राशि के गबन का आरोपी बनाया गया था। आरोपियों पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। जांच में आरोपियों की भूमिका सत्य पायी गई है।

कैसे गड़बड़ी कर आरोपियों को राहत देने की हुई कोशिश

पुलिस मुख्यालय को शिकायत मिली थी कि रांची के सिल्ली डीएसपी ने इस मामले में अपने रिश्तेदार इंद्रदेव प्रसाद को बचाने की भूमिका निभायी। सिल्ली डीएसपी इस मामले की जांच से जुड़े डीएसपी वरूण रजक के बैचमेट है। डीएसपी पर 15 लाख लेने का आरोप लगा था। जिसके बाद मुख्यालय ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे। लेकिन चतरा एसपी ने इस मामले की जांच करने में तनिक भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। तब जाकर मामले की समीक्षा व जांच के दौरान डीआईजी पंकज कंबोज ने गड़बड़ी पकड़ी। डीआईजी ने इस मामले में वरूण रजक से भी पूछताछ की, डीएसपी ने कबूला की आरोपी नाजिर का आरोपी बेटा उनसे मिलने उनके कार्यालय आया था। डीआईजी ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि इतने महत्वपूर्ण मामले में एसडीपीओ चतरा ने ससयम प्रगति प्रतिवेदन नहीं दिया। एसडीपीओ ने अपने स्तर पर लापरवाही बरती। चतरा एसपी ने भी इस मामले में प्रगति प्रतिवेदन तीन नहीं निकाला। चतरा एसपी ने भी पूरे मामले को हल्के में लिया। आरोपियों के संबंध में कोर्ट में काउंटर एफिडेविट जमा करना था, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। जिसपर कोर्ट ने भी गंभीरता जतायी। डीआईजी ने पाया है कि आरोपियों को बचाने के उदेश्य से 41 ए का नोटिस निर्गत किया गया।

आरोपी एसडीपीओ से करते रहे मुलाकात, फिर भी नहीं हुई गिरफ्तारी

आरोप यह भी है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी आरोपी एक अधिकारी ने कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगनी की बात बताकर एसडीपीओ से मुलाकात की थी।लेकिन उस दौरान भी एसडीपीओ ने यह जानने तक प्रयास नहीं किया था कि क्या वाकई में आरोपियों के गिरफ्तारी पर न्यायालय ने स्टे ऑर्डर पास किया है। ऐसे में लापरवाह एसडीपीओ के कारण ही आरोपी आराम से झूठ बोलकर उनसे मुलाकात व चाय-नास्ता कर आराम से चलते बने और उनको गिरफ्तार करने के बजाय एसडीपीओ हांथ पर हांथ धरे बैठे रह गए।

न्यायालय में नहीं किया वारंट प्रे

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि आरोपियों को खुला संरक्षण देने वाले एसडीपीओ व उनकी पुलिस ने मामला दर्ज हुए करीब एक वर्ष बीत जाने के बाद भी फरारियों के गिरफ्तारी को ले न्यायालय में अबतक वारंट भी प्रे नहीं किया है। जबकि सभी आरोपियों द्वारा उच्च न्यायालय में दायर एंटी सेपेट्री बेल की अर्जी को न्यायालय ने निरस्त कर दिया था। ऐसे में पुलिस की खामोशी पर कई सवाल खड़े होने के साथ-साथ आरोप भी सिद्ध होते नजर आ रहे हैं।

हो सकती है बड़ी कार्रवाई

चतरा में हुए कल्याण महा घोटाले के आरोपियों को खुली छूट देने वाले आरोपी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वरुण राज्य और इस केस से जुड़े पुलिस पदाधिकारियों पर गाज गिर सकती है। डीआईजी पंकज कंबोज द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के आधार पर पुलिस मुख्यालय और सरकार एसडीपीओ व अन्य लापरवाह पुलिस पदाधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है।

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