लोहरदगा: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी वैश्विक महामारी कोविड-19 कोरोना संक्रमण काल में झारखंड जैसे आदिवासी बहुल और गैर भाजपा शासित राज्य के साथ पक्षपात पूर्ण रवैया के खिलाफ आवाज उठाने और चरणबद्ध आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार और केंद्रीय उपक्रमों के पास झारखंड का करीब 75000 करोड़ रुपए का बकाया है, लेकिन केंद्र सरकार इस राशि को देने के बजाय संकट की इस घड़ी में झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों से ही गलत और और लोकतांत्रिक तरीके से अचानक 1417 करोड रुपए आरबीआई के माध्यम से बीबीसी के बकाया राशि के रूप में वसूल लेती है। इतनी बड़ी राशि के कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक स्वास्थ्य उपकरण पीपीई किट और अन्य जांच की व्यवस्था हो सकती थी, लोगों को रोजगार मुहैया कराई जा सकता था। अधूरी लटके विकास परियोजनाओं को गति दी जा सकती थी, लेकिन आदिवासी विरोधी केंद्र सरकार के नकारात्मक और सहयोगात्मक रवैया के कारण झारखंड के समक्ष बड़ी मुश्किल उत्पन्न हुई है। डीवीसी की ओर से जीत 5417.50 बकाए की बात की जा रही है। वह सारा बकाया पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के समय का है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठित सरकार की ओर से अपने कार्यकाल का समय पर पीवीसी का बकाया का भुगतान किया गया है और मात्र एक 100 से 125 करोड़ का ही बताया होगा जिसका भुगतान भी राज्य सरकार की ओर से जल्द ही कर देने का भरोसा कराया गया है। लेकिन पिछले 5 वर्षों में भाजपा सरकार के शासन में डीवीसी का बकाया बढ़ता ही गया। इस बीच रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में 2017 में ऐसी द्विपक्षीय समझौता कर लिया गया जिससे बकाया राशि राज्य सरकार के खाते से सीधे काट लिए जाने का प्रावधान शामिल कर लिया गया। लेकिन 5 सालों में डीवीसी का बकाया राशि बढ़ता ही गया, लेकिन इस दौरान एक बार भी बकाया राशि की कटौती नहीं की गई। परंतु अब झारखंड में कांग्रेस जेएमएम आरजेडी के नेतृत्व में सरकार गठन होने से केंद्र सरकार द्वारा गैर भाजपा शासित राज्यों को परेशान करने तथा आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के उद्देश्य यह कदम उठाया गया है।डीवीसी की ओर से जो 5417. 50 करोड़ रुपए बकाया का दावा किया जा रहा है उस दावे पर भी राज्य के ऊर्जा विभाग द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई है और बताया करीब ₹3500 करोड़ का ही होने को लेकर सारे दस्तावेज के साथ विस्तृत जानकारी दी गई। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि एक और केंद्र सरकार खुद कोरोना की बात कह कर गैर भाजपा शासित राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के बकाया भुगतान देने से इंकार कर रही है वह इस संकट की घड़ी में राज्य सरकार के खाते से सीधे राशि निकाल लेने का काम कर रही है। केंद्र सरकार के पास झारखंड सरकार का अभी 2982 करोड़ रुपए जीएसटी कंपनसेशन मध्य में बकाया है वही 38600 करोड़ रुपए कोल इंडिया और सेल पर खान विभाग का बकाया है इसके अलावा 33000 करोड़ रुपए कोल कंपनियों पर लगान का बकाया है।
अन्य राज्यों पर भी बकाया है पर नहीं काटी गई राशि (तमिलनाडु तेलंगाना कर्नाटक कश्मीर आंध्र प्रदेश पर 60000 करोड़ से भी ज्यादा बकाया है।) लोकसभा चुनाव में झारखंड में 14 में से 12 एनडीए के सांसद चुनाव जीतने में सफल रहे । अभी उनकी बोलती है भाजपा के तीन तीन पूर्व मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री को भी शासन का लंबा अनुभव रहा है। राशि कटौती के मसले पर उन सभी ने भी बोलती बंद हो गई है। और उनका में प्रदेश भाजपा कार्यालय में साढ़े 6 किलो का ताला लगाकर अपने घरों में मक्खन रोटी खाने वाले और अपने नेताओं को अंगरक्षक मुहैया कराने समेत हर छोटी-छोटी बातों पर मुख्यमंत्री को बड़ी-बड़ी चिट्ठी लिखने वाले भाजपा नेताओं को अब इस संबंध में प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखकर झारखंड के हितों की रक्षा की अपील करनी चाहिए।
उन्हें बताना चाहिए कि झारखंड सरकार के पास आय के स्रोत सीमित हैं ऐसे में कोविड-19 के आपातकाल में कर संग्रह भी कम हुआ है। पहले से ही राज्य की सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के खजाने पर अतिक्रमण किए जा रहे हैं। वहीं राज्य सरकार का बकाया भी नहीं दिया जा रहा है। राज्य के सभी सांसदों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी निवेदन करती है कि प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर राज्य के हालात की जानकारी दें एवं सभी प्रकार के बकाया राशि भुगतान करने का अनुरोध करें। बेरमो और दुमका का जनता से अपील करते हैं कि उपचुनाव में भाजपा नेताओं को इसका करारा जवाब दें।आज के कार्यक्रम में आलोक दुबे केसाथ लाल किशोरनाथ शाहदेव, जिलाध्यक्ष शाबीर खान,निशीथ जायसवाल, प्रदीप विश्वकर्मा जिला मीडिया प्रभारी रामाधार पाठक प्रमुख रूप से उपस्थित हुवे।l
कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में
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