आल मुस्लिम यूथ एशोसिएशन के केंद्रीय सचिव रहमतुल्लाह अंसारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि शब-ए बरात यानि छुटकारे की रात है। इस रात तन्हाई में इबादत करें और अपने गुनाहों की तौबा करें। इबादत के साथ ही अगले दिन रोजा रखना अफजल है। रात में आतिशबाजी करना हलवा बांटना या हुड़दंगबाजी करना पूरी तरह गलत है।
उन्होंने बताया शब-ए बरात में इकट्ठा होकर इबादत करने से बचें और तन्हाई में अपने गुनाहों से तौबा कर अपने और अपनों के लिए दुआएं मांगे।
इस्लामी कलेंडर के शाबान माह की 15वीं रात को शब-ए-बरात मनाई जाती है। इस साल शनिवार (28 मार्च) को मनाई जा रही है। शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहां शब का अर्थ रात होता है वहीं बारात का मतलब बरी होना होता है। इस रात लोग पिछले एक साल में जाने-अनजाने हुए गुनाहों के लिए अल्लाह से माफी मांगते है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है।
मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फजीलत (महिमा) की रात मानीजाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। शब-ए-बारता अरब में लैलतुल बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफगानिस्तान और नेपाल में शब-ए-बारात के नाम से जाना जाता है।