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बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण फैसला Nirbhaya Case Live Updates: निर्भया के दोषियों को कल नहीं होगी फांसी, अगले आदेश तक रोक

DELHI: निर्भया के चारों दोषियों को कल शनिवार सुबह 1 बजे फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा. पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी टाल दी है. कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी है. ये दूसरी बार है जब दोषियों की फांसी टाली गई है. इससे पहले गुनहगारों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी देने की तारीख तय हुई थी.

निर्भया के गुनहगारों ने फांसी की सजा को टालने के लिए हरसंभव कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल किया. गुनहगार विनय ने फांसी पर रोक लगाने की मांग की थी. पटियाला हाउस कोर्ट में गुरुवार को विनय की ओर से दाखिल याचिका में राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने के आधार पर फांसी पर रोक लगाने की अपील की गई थी. वहीं, मामले में एक और दोषी पवन के नाबालिग होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. पवन की इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

सुनवाई के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस मामले में फांसी अलग-अलग नहीं दी जा सकती है. नियम के हिसाब से भी किसी भी एक मामले में दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी सकती, जब तक कि सभी दोषियों की सभी याचिकाओं का निपटारा न हो जाए.

वकील वृंदा ग्रोवर ने 1981 के एक मामले का जिक्र किया, जिसमें 3 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी. इस मामले में 2 लोगों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई और उनको राष्ट्रपति ने माफ कर दिया था, लेकिन एक दोषी ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका नहीं लगाई और उसे फांसी दे दी गई. एक ही मामले में एक को फांसी हुई. इसलिए उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया किसी एक मामले में फांसी सभी दोषियों को एक साथ दी जाएगी.

वकील वृंदा ग्रोवर ने अपनी दलील में कहा कि 1981 के उस मामले में जिस एक को फांसी हुई, उनको देश की कोई भी अदालत बदल नहीं सकती. फांसी देने के बाद उसको बदला नहीं जा सकता, इसलिए 1 फरवरी को फांसी नहीं दी जा सकती. इस मामले में कहा जा रहा है कि मामले को लंबा खींचने के लिए याचिकाओं को लगाया जा रहा है. तो मैं बताना चाहूंगी कि रिकॉर्ड टाइम में क्यूरेटिव और दया याचिका लगाई गई है.

निर्भया की वकील ने पूछे सवाल

इस पर निर्भया के परिवार की वक़ील सीमा ने कहा कि वृंदा ग्रोवर इस मामले में मुकेश की तरफ से पेश हो रही है या फिर एमिकस क्यूरी के तौर पर पेश हो रही है. अगर मुकेश की तरफ से पेश हो रही है तो फिर उनको सुना ही नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उसकी सभी याचिका खारिज हो चुकी है और अगर एमिकस के तौर पर पेश हो रही है तो फिर ये फांसी का विरोध कैसे कर सकती हैं, क्योंकि एमिकस का काम तो कोर्ट को असिस्ट करना होता है.

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