भूमि विवाद के कारण सुनियोजित ढंग से गांव में ही हत्या कर दूसरे प्रखंड में लगाया लाश का ठिकाना।
कुडू – लोहरदगा : लोहरदगा जिले के कुडू थाना क्षेत्र के उडूमुडू निवासी स्व अघनू उरांव के 30 वर्षीय पुत्र आदिवासी नेता विकास उरांव का शव पुलिस ने बरामद कर लिया। इसी के साथ पिछले लगभग एक माह से पुलिस के सामने चुनौती बना हुआ विकास हत्याकांड का खुलासा हो गया। पुलिस ने 9 नवंबर की देर रात कैरो थानाक्षेत्र के नगजुवा के अम्बवा चिरिवा जंगल के नजदीक से बरामद करने में कामयाब हुई। हत्यारो ने विकास की बेरहमी से हत्या कर सर, पैर, हाथ आदि शरीर के कई भागों में टुकड़े-टुकड़े कर अलग-अलग जगहों में तीन बोरे में भरकर बोरा में पत्थर डालकर जमीन पर गाड़ दिया था। बताते चलें कि इस हत्याकांड को सुलझाने में पुलिस ने रात दिन एक कर दिया था। फिर भी मामले के कोई अहम सुराग हाथ नहीं आ रहे थे। पुलिस ने कई फोन को सर्विलांस में डाला। सीडीआर निकाले गए। इस दौरान पुलिस को गांव के ही बंदु ठाकुर के पुत्र सतीश ठाकुर को काण्ड में शामिल होने का सुराग मिला। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछ-ताछ शुरू किया तो पुलिस को बरगलाने की कोशिश करता रहा। लेकिन बाद में वह पुलिस की सख्ती के सामने टूट गया और शव को ठिकाने लगाने में शामिल होने की बात कुबूल की। इन्वेस्टीगेशन में ऐसे कई तथ्य सामने आए। संगीन वारदात का खुलासा हुआ तो धीरे धीरे सभी के चेहरे बेनकाब हुए। युवक की हत्या कर जिस स्थान पर उसका शव दफनाया था, बताई गई जगह पर पुलिस ने जब खुदाई करवाई तो शव को कई टुकड़ों में काटकर बोरियों में भर कर चार स्थानों पर गाड़ा गया था। जो इस बात का प्रमाण है कि सोची समझी प्लानिंग के तहत पहले युवक की हत्या की गई। फिर उसे सुनसान स्थान में गाड़ दिया गया। जिससे किसी को वारदात का पता न चल सके। पुलिस ने सुरेंद्र सिंह की पत्नी रमावती देवी और साला अम्बवा निवासी पंचानन साह भी गिरफ्तार किया है। और विकास के कपड़े, जूते भी बरामद किया है। जिसे कब्जे में लेकर कुडू ले आई है।
*हत्यारों ने क्रूरता की सभी हदें पार की*
हत्यारे ने कूरता की सभी हदें पार कर दी है। बर्बरता और बेरहमी से कत्ल कर घर में शव के कई टुकडे़ किए हैं। जिस तरह से घर के अंदर सिर, हाथ, पैर और उसके शरीर के कई टुकड़े कर बोरियों में भरा है उससे लगता है हत्यारों ने बड़े इत्मीनान से काम किया है।
*तूल पकड़ता जारहा था विकास का बरामद नहीं होना।*
विकास की गुमशुदगी जब अपहरण में तब्दील हुई तब मामला तूल पकड़ने लगा था। इस सनसनीखेज़ प्रकरण को आदिवासी समाज में भारी रोष व्याप्त था। कई समाजिक संगठनो द्वारा पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा था। इसी कड़ी में 2 नवंबर को उडुमुडु पहुंची झानद की 5 सदस्यीय टीम ने शकुशल बरामदगी की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। और 7 नवम्बर को लोहरदगा समाहरणालय से सामने धरना भी दिया था। इस दौरान 1 नवंबर को रांची इटकी थाना क्षेत्र के मलार डैम में एक शव बरामद हुआ था। 24 अक्टूबर को लोहरदगा के सेन्हा थाना अंतर्गत चितरोली पथ के किनारे मिनियखाड़ रजिस्टार बगान के एक कुंवे से गला कटा एक शव बरामद हुआ था। दोनों शव को पुलिस परिजनों से पहचान कराई थी लेकिन सभी ने पहचानने से इनकार कर दिया था। पुलिस सेन्हा में मिले शव को विकास का शव मानकर उसका डीएनए सैंपल भी लीया था।
*क्या है मामला।*
बीते 15 अक्टूबर की शाम विकास संदिग्ध अवस्था में लापता हो गया था। जिसके बाद भाई अन्नू ने 19 अक्टूबर को कुडू थाना में गुमशुदगी का मामला कडू थाना में दर्ज करवाया था और इसके पीछे का कारण भूमि विवाद बताते हुए गाँव के पांच लोगों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए अपहरण और हत्या की शंका व्यक्त की थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने कांड संख्या 130/20 के तहत मामला दर्ज कर 29 अक्टूबर को दो आरोपी गांव के ही सुरेंद्र सिंह के 32 वर्षीय रामदीप सिंह और जतरू उरांव के पुत्र महादेव उरांव को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जबकि इस हत्याकांड में शामिल मुख्य आरोपी सुरेंद्र सिंह उसका बेटा राजदीप सिंह, राजदीप की पत्नी आरती देवी, शाला विकास सिंह अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस ने बताया कि नृशंस हत्याकांड के सभी अभियुक्तों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
एक माह से लापता युवक की हुई है हत्या, पुलिस ने बोरियों में भरा कई टुकड़ों में कटा बरामद किया शव।
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