मुजफ्फर हुसैन अंसारी संवाददाता, रांची
आलम ए इस्लाम को 1443 हिजरी इस्लामिक नए साल की मुबारकबाद: नवाब चिश्ती।
रांची:- 1443 इस्लामिक नए साल की मुबारक बाद मोहर्रम उल हराम के चांद दिखने के बाद मनाया जाता है. हक और बातिल के जंग में हक की जीत हुई. यह तारीख ए इस्लाम कर्बला का जंग 60 हिजरी जो आज से करीब 1400 साल पहले अली और फातिमा के लाल हुसैन अपने नाना हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की उम्मत दीन ए इस्लाम को बचाने की खातिर एक तरफ इस्लाम के दुश्मन यजीद लाखों की तादाद में और एक तरफ हुसैन के 72 लश्कर 6 माह के नन्हे असगर से लेकर काशिम अपनी 1 दिन की नवेली दुल्हन को छोड़कर जंग के मैदान में भूखे और प्यासे कई लोग कई दिनों तक जंग लड़ते रहे. जंग लड़ते लड़ते शहीद होकर भी इस्लाम का परचम हमेशा के लिए बुलंद कर गए यह है तारीख ए इस्लाम. किसी ने भी कर्बला के इस जंग में हार नहीं मानी ना ही उस जंग से अपने आपको किनारा किया. मुसलमान का यह ईमान है हुसैन के लश्कर कर्बला की धरती आज भी पुकारती है मेरा हुसैन आज भी है इमाम अभी।
आज के दौर में मुसलमान तारीख इस्लाम के जंग और कई बातों को भूल कर अपने अपने कामों में मशरूफ है. मौजूदा वक्त में जरूरी है कि लोग आज के वक्त के हिसाब से लोगों की मदद चाहे क्योंकि इस्लाम हमेशा सामान और शांति का पैगाम देता रहा है. वह किसी भी रुप से किया जाए वह जरूर करें क्योंकि मुसलमान का ईमान सब कुछ है।