ITR अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 तक बढ़ी: पेनल्टी, लेट फाइलिंग और अहम नियम समझें

पर प्रकाशित सित॰ 5

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ITR अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 तक बढ़ी: पेनल्टी, लेट फाइलिंग और अहम नियम समझें

क्यों बढ़ाई गई ITR अंतिम तिथि और इसका असर

15 सितंबर 2025—यह वह नई तारीख है जिस तक आम करदाताओं को अपने इनकम टैक्स रिटर्न भरने की राहत मिल गई है। CBDT ने यह विस्तार FY 2024-25 (AY 2025-26) के लिए दिया है। पहले आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 थी। बदलाव सिर्फ तारीख का नहीं है, इस बार पूरी फाइलिंग प्रक्रिया के ढांचे और कंटेंट में अपडेट हुए हैं, इसलिए सिस्टम तैयारियों के लिए एक्स्ट्रा समय दिया गया।

नोटिफाइड ITR फॉर्म में बड़े स्ट्रक्चरल बदलाव हुए हैं—डिस्क्लोजर की भाषा साफ की गई है, प्रॉम्प्ट और वैलिडेशन बेहतर किए गए हैं, और यूटिलिटीज को नए डेटा-फ्लो (AIS/TIS और 26AS के साथ) सिंक करने की जरूरत है। ऐसे बदलावों के बिना त्रुटियां कम नहीं होतीं, लेकिन इन्हें लाइव करने से पहले डेवलपमेंट, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग जरूरी है।

एक और प्रैक्टिकल वजह TDS स्टेटमेंट्स का टाइम है। डिडक्टरों को 31 मई 2025 तक TDS स्टेटमेंट जमा करनी होती है। उसकी प्रोसेसिंग के बाद क्रेडिट जून की शुरुआत में बड़े पैमाने पर दिखना शुरू होता है। अगर डेडलाइन 31 जुलाई रहती, तो लाखों लोगों के पास गलती-रहित फाइलिंग के लिए बेहद छोटा विंडो बचता। नई तारीख इस दबाव को कम करती है—खासकर सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए जिनके पास Form 16 जून के मध्य में आता है, और बैंक/ब्रोकर स्टेटमेंट्स को मिलान करने में समय लगता है।

इस विस्तार का सीधा असर ये है कि आप टीडीएस क्रेडिट, बैंक ब्याज, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड की रिडेम्पशन से हुए कैपिटल गेन, या किराये की आय जैसे डेटा को AIS/TIS और 26AS से मैच करके आराम से फाइल कर सकते हैं। जितनी बेहतर मिलान-प्रक्रिया, उतनी कम नोटिस और उतना ही तेज रिफंड प्रोसेस।

फिर भी सलाह वही है: आखिरी हफ्ते का इंतजार मत कीजिए। सिस्टम लोड, ओटीपी डिले और छोटे-छोटे मिसमैच आखिरी समय में सबसे ज्यादा परेशान करते हैं। जल्दी फाइल करने पर रिफंड जल्दी प्रोसेस होता है, और कोई त्रुटि दिखे तो रिवाइज्ड रिटर्न का समय आपके पास रहता है।

जुर्माना, ब्याज, विकल्प: देर से फाइल करने के सारे नियम

अगर 15 सितंबर 2025 की तारीख चूक जाती है, तो धारा 234F के तहत लेट फीस लगती है। सामान्य मामलों में यह 5,000 रुपये तक है। जिनकी करयोग्य आय 5 लाख रुपये तक है, उनके लिए यह 1,000 रुपये है। एक अहम बात—अगर आपकी कुल आय बेसिक छूट सीमा से ऊपर है, तो लेट फीस लग सकती है, भले ही नेट टैक्स देनदारी टीडीएस/एडवांस टैक्स से शून्य क्यों न हो।

लेट फीस के अलावा लंबित टैक्स पर ब्याज भी देना पड़ता है। ब्याज की गणना मूल नियत तारीख से वास्तविक फाइलिंग की तारीख तक महीना-दर-महीना होती है। सरल शब्दों में—जितनी देर, उतना ब्याज। इसलिए जिनका कोई टैक्स बकाया है, उनके लिए देरी महंगी पड़ती है।

एक बेसिक उदाहरण समझिए: मान लीजिए आपकी रिटर्न फाइलिंग के समय 20,000 रुपये टैक्स बकाया निकलता है और आपने 20 नवंबर 2025 को रिटर्न दाखिल किया। मूल नियत तारीख (15 सितंबर) के बाद हर शुरू हुआ माह गिना जाता है—सितंबर (आधे माह भी पूरा माना), अक्टूबर, नवंबर—यानी कई मामलों में तीन महीनों का ब्याज लग जाएगा। इसके ऊपर 234F की लेट फीस अलग से।

अगर तारीख चूक जाती है, तो भी रास्ता बंद नहीं होता। आप 31 दिसंबर 2025 तक बिलेटेड रिटर्न भर सकते हैं। हां, इसमें ऊपर बताई गई लेट फीस और लंबित टैक्स पर ब्याज देना होगा। बिलेटेड के बाद भी गलती दिखे तो 31 दिसंबर 2025 तक रिवाइज्ड रिटर्न का विकल्प रहता है। इसलिए जितनी जल्दी फाइल करेंगे, सुधार की गुंजाइश उतनी अधिक रहेगी।

किसे हर हाल में ITR भरना है? कुछ खर्च/लेन-देन आपको अनिवार्य फाइलिंग की श्रेणी में ला देते हैं, भले ही टैक्स देनदारी न हो:

  • विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये या उससे अधिक खर्च
  • बिजली बिल में साल भर में 1 लाख रुपये या उससे अधिक भुगतान
  • करेंट अकाउंट्स में 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक की जमा
  • और भी कुछ निर्धारित शर्तें—जैसे विशिष्ट हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शंस

कौन-सी डेडलाइन किसके लिए? 15 सितंबर 2025 की तारीख उन व्यक्तियों, HUF, AOP और BOI पर लागू है जिनके खातों का ऑडिट जरूरी नहीं है। जिनका ऑडिट अनिवार्य है, उनके लिए 31 अक्टूबर 2025 लक्ष्य तारीख है। ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट वाले मामलों में 30 नवंबर 2025 तक समय है। बिलेटेड और रिवाइज्ड रिटर्न—दोनों के लिए 31 दिसंबर 2025 की कट-ऑफ है।

इस सीजन में क्या तैयारी रखें? एक छोटी-सी चेकलिस्ट काम आएगी:

  • Form 16 (सैलरीड) और Form 16A/16B/16C जहां लागू हो
  • Form 26AS, AIS और TIS—इन तीनों को जरूर मिलाइए
  • बैंक स्टेटमेंट, एफडी/आरडी का ब्याज, डिविडेंड स्टेटमेंट
  • कैपिटल गेन स्टेटमेंट (ब्रोकर/आरटीए से)—शेयर/म्यूचुअल फंड/बॉन्ड
  • किराया रसीद, HRA/होम लोन ब्याज का साक्ष्य, किरायेदार का PAN जहां जरूरत हो
  • धारा 80C, 80D, NPS, शिक्षा ऋण ब्याज आदि की प्रूफ
  • फ्रीलांस/बिजनेस आय के लिए बुक्स का सार, TDS स्टेटमेंट और रसीदें

आम गलतियां जो नोटिस दिलाती हैं—AIS से मिसमैच (खासकर ब्याज/डिविडेंड), म्यूचुअल फंड रिडेम्पशन पर कैपिटल गेन्स न दिखाना, दोनों रेगीम (पुरानी/नई) में से गलत चुनाव, HRA और होम-लोन इंटरेस्ट को एक साथ गलत तरह से क्लेम करना, TDS क्रेडिट को बिना वैरिफाई किए मान लेना।

रेजीम का चुनाव पहले करें। नई रेगीम डिफॉल्ट है, लेकिन अगर आप पुरानी रेगीम के लाभ चाहते हैं (जैसे 80C/80D आदि), तो ई-फाइलिंग के समय सही विकल्प चुनकर फॉर्म भरें। सैलरीड लोगों के लिए Form 16 में सेक्शन-वाइज ब्रेकअप मदद करता है, लेकिन अंतिम जिम्मेदारी हमेशा रिटर्न फाइल करने वाले की होती है।

रिफंड चाहिए तो जल्दी फाइल करना फायदेमंद है। बैंक खाते की प्री-वैधता, नाम-PAN-बैंक मैच और ECS विवरण सही हों—वरना रिफंड अटक जाता है। कभी-कभी विभाग वेरिफिकेशन मांगेगा—तो दस्तावेज पहले से स्कैन रखिए।

अगर 31 दिसंबर 2025 भी निकल गया तो सामान्य और बिलेटेड रिटर्न का विकल्प खत्म हो जाता है। कानून में “अपडेटेड रिटर्न” का प्रावधान है, लेकिन उस पर अतिरिक्त देनदारी और शर्तें होती हैं; इसलिए उस स्थिति में सलाह लेकर ही कदम उठाएं। बेहतर यही है कि सितंबर से पहले दस्तावेज इकट्ठा करें, डेटा मिलाएं, और आराम से फाइल कर दें।

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