RANCHI: झारखंड में एक्जिट पोल का दौर प्रारंभ हो चुका है। इस पर लोग भरोसा
तो नहीं करते लेकिन यह चुनाव के बाद राजनीतिक जुगाली करने का पर्याप्त
मसाला दे जाता है। इस वजह से विभिन्न माध्यमों से एक्जिट पोल के आधार
पर राजनीतिक जोड़-तोड़ और गुणा-भाग का दौर अगले 23 दिसंबर तक जारी
रहना तय हो चुका है। वैसे अलग अलग आंकड़ा प्रदर्शित करने के बाद भी
इतना स्पष्ट हो गया है कि दोनों प्रमुख खेमा स्पष्ट बहुमत के पास नहीं पहुंच
पाया है। ऐसे में उन्हें सरकार बनाने के लिए बाहरी मदद की जरूरत पड़ेगी।
वैसे समझदारी इसी में है कि इस पर भरोसा कर अपनी राय कायम करने से
बेहतर है कि मतगणना के बाद आधिकारिक तौर पर परिणामों की घोषणा की
प्रतीक्षा की जाए।
वैसे झारखंड विधानसभा का यह चुनाव कई राष्ट्रीय और स्थानीय मानकों पर
भी महत्वपूर्ण बना हुआ है। राष्ट्रीय फलक की बात करें तो लोकसभा में प्रचंड
बहुमत हासिल करने के बाद यह भाजपा के लिए तीसरा विधानसभा चुनाव है।
इससे पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव हो चुके हैं। हरियाणा के एक्जिट
पोल में भाजपा को स्पष्ट बहुमत से भी अधिक सीटों का अनुमान व्यक्त
किया गया था। लेकिन वहां सरकार बनाने के लिए भाजपा को बाहरी समर्थन
की आवश्यकता पड़ी है। अब महाराष्ट्र में भी उसे शिवसेना के साथ स्पष्ट
बहुमत का अंदेशा था। परिणाम ऐसा आया भी लेकिन 50-50 के फार्मूले पर
बात इतनी बिगड़ी आज भाजपा वहां सरकार से बाहर है और शिवसेना की
तरफ से उद्धव ठाकरे वहां मुख्यमंत्री बने हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद यह तीसरा वि. सभा चुनाव है
झारखंड में भी भाजपा नेतृत्व ने रघुवर दास पर ही दांव लगाया था। अब इस
बात पर खुली चर्चा हो सकती है कि भाजपा के अंदर भी अनेक लोग पार्टी
नेतृत्व के इस फैसले से सहमत नहीं थे। इसके बाद भी प्रथम दो चरण तक
भाजपा का नारा इस बार 65 पार का लगता रहा। बाद में पार्टी ने अन्य नेताओं
की अहमियत को समझते हुए अपनी रणनीति में बदलाव किया तो तीसरे
और चौथे चऱण में पार्टी की स्थिति थोड़ी सुधरी। अब राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में यह
समझा जा सकता है कि यदि इस राज्य का चुनाव परिणाम भी भाजपा के हाथ
से निकल जाता है तो यह लगातार तीसरा राज्य होगा, जो भाजपा के शासन
से बाहर चला जाएगा। हरियाणा में भाजपा की सरकार होने के बाद भी वह
दुष्यंत चौटाला के समर्थन पर टिकी हुई है। आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल
में तृणमूल जैसे सशक्त विरोधी से उसका मुकाबला होने जा रहा है। इन तीन
राज्यों के चुनाव परिणाम पश्चिम बंगाल पर भी असर डालेंगे। दिल्ली के बारे
में अभी से ही जो संकेत उभर रहे हैं वह भाजपा के लिए कोई उत्साहजनक
स्थिति नहीं है। अब राज्य की बात करें तो झारखंड में भाजपा की कमान किन
हाथों में होगी, यह भी चुनाव परिणाम तय करने जा रहा है।
झारखंड में भाजपा की किस्मत भी तय होगी परिणाम से
जाहिर है कि अगर पार्टी का प्रदर्शन अच्छी नहीं हुआ तो प्रदेश में भाजपा
नेतृत्व का चेहरा बदलेगा। इससे अलग महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री
पद के दावेदार हेमंत सोरेन के लिए भी राह आसान नहीं होगी। उन्हें भी बाहरी
समर्थन की जरूरत के लिए जिन समीकरणों को साधना पड़ेगा, उन्हें लगातार
निभाना कोई आसान चुनौती नहीं होगी। इस लिहाज से यह भी कहा जा
सकता है कि पूर्ण बहुमत से पीछे रहने की स्थिति में हेमंत के लिए भी सरकार
चलाना तलवार की धार पर चलने जैसा होगा। वैसे एक्जिट पोल के वर्तमान
संकेत यह बताने क लिए पर्याप्त हैं कि भाजपा के नहीं चाहने के बाद भी
आजसू फिर से एक मजबूत ताकत के तौर पर उभर रही है। दूसरी तरफ राज्य
के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी चूका हुआ कारतूस मानने वालों को
झटका लगने जा रहा है। ऐसे में इन दोनों नेता भावी सरकार के प्रति क्या
दृष्टिकोण अपनाते हैं, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर होगा।
झारखंड में एक्जिट पोल के निष्कर्ष
संस्था भाजपा महागठबंधन आजसू झाविमो अन्य
टाइम्स नाउ 28 44 0 3 6
इंडिया टू जे एक्सिक माइ इंडिया 27 43 5 3 3
एबीपी-सी वोटर आइएएनएस 32 35 5 2 7
औसत 29 41 3 3 5