सरकार के भरोसे ना रहें गढ़वावासी, स्वयं पहल करें : सत्येंद्र नाथ तिवारी
गढ़वा संवाददाता :अमित कुमार
गढ़वा रंका विधानसभा के पूर्व विधायक श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि देशभर में फंसे गढ़वा के अधिकांश प्रवासी मजदूर झारखंड सरकार से भरोसा टूटने के बाद लाचारी में हजारों की संख्या में पैदल या निजी व्यवस्था से गढ़वा आने के लिए सड़कों पर हैं। और जो प्रवासी मजदूर गढ़वा पहुंच रहे हैं उनके साथ भी सरकार के द्वारा पशुवत व्यवहार किया जा रहा है। रहने-खाने की काफी अव्यवस्था है। सरकार के द्वारा उन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने के बजाय मजदूरों को सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह देकर घर जाने का आदेश दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को जमीनी हकीकत मालूम है कि अधिकांश प्रवासी जो घर लौट कर आए हैं, उनके पास पक्का मकान भी नहीं है। वे झोपड़ी या कच्चे मकान में बड़ी मुश्किल से अपने परिवार के साथ काफी कम जगह में सर छुपाते हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना असंभव है। फिर भी सरकार इन प्रवासी मजदूरों को होम क्वॉरेंटाइन कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है। जिसके कारण आज गढ़वा कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया है। गढ़वा में आज सबसे ज्यादा कोरोना के एक्टिव मरीज हैं।
पूर्व विधायक ने कहा कि सरकार के द्वारा उपेक्षित गढ़वा जिला वासियों की जिम्मेदारी है कि संकट की घड़ी में खुद को और गढ़वा को बचाने के लिए स्वयं ही पहल करें। क्योंकि राज्य सरकार का रवैया गढ़वा के प्रति ठीक नहीं है। हम सभी को पता है कि इस महामारी की कोई दवा नहीं है। इस महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग ही एकमात्र सहारा है। फिर भी राज्य सरकार प्रवासी मजदूर को क्वॉरेंटाइन अवधि या संक्रमण परिलक्षित होने की अवधि समाप्त होने तक अपनी निगरानी में रखने के बजाय घर जाने की इजाजत देकर संक्रमण को निमंत्रण दे रही है।
श्री तिवारी ने कहा कि मेरे द्वारा भी लगातार विगत कई दिनों से राज्य सरकार से आग्रह किया गया कि इस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सभी प्रवासियों को प्रशासन की निगरानी में सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जाए लेकिन सरकार ने सुझावों को नजरअंदाज कर गढ़वा के लोगों को भगवान भरोसे छोड़ने का काम किया है।
राज्य सरकार की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट पूर्व विधायक ने आम जनों से अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए निवेदन किया है कि गढ़वा को बर्बाद होने से बचाने के लिए सभी समाजसेवी लोग आगे आएं। प्रवासियों को सामुदायिक स्थल पर क्वॉरेंटाइन अवधि के दौरान रखकर उनकी देखभाल के लिए ग्रामीण स्तर पर निगरानी कमेटी बनाई जाए। गांव और पंचायत स्तर पर प्रवासियों के लिए समुचित व्यवस्था बहाल की जाए क्योंकि यह सरकार प्रवासियों को सुविधा देने और संक्रमण को फैलने से रोकने में पूरी तरह फेल है। इसलिए सरकार के भरोसे रहना ठीक नहीं है। ऐसा करके ही हम खुद को, अपने समाज को और गढ़वा को बचा सकते हैं।
22/05/2020