रांची से रहमतुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट
रांची: हेमंत सोरेन की सरकार अब अवास को लेकर बेहद ही संजीदा हो गयी है। पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा से आवास के एवज में 15 गुणा पैसे वसूलने की तैयारी भवन विभाग कर रहा है। तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को बेघर करने की नीति हेमंत सरकार केे दुलारे करने में लगे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ ही कई और पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर से बेघर करने की तैयारी में अधिकारी जुट गये हैं। रघुवर दास की ही सरकार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास नहीं देने की नीति पर कार्य हुआ था जिसके कारण पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को कई महीनेां तक सरकारी आवास से बेघर होने को विवश हुए थे। वहीं बड़बोले पूर्व मंत्री और रांची के विधायक सी.पी. सिंह को भी हेमंत सरकार ने रांची हविधानसभाा से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। भले ही झामुमो की प्रत्याशी महुआ मांजी सी.पी. सिंह को हराकर विधानसभा से बाहर करने में सफलता नहीं पायी लेकिन राज्य सरकार के अध्एिाकारी उनके आवास आवंटन के बाद उनको रांची विधानसभाा से बाहर का रास्ता दिखाने में सफल हो गये। सी.पी. सिंह को वर्तमान में रांची के डिप्टी पाड़ा में आवास है जो अब शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो को आवंटित कर दिया गया है। सी.पी. सिंह लगभग 20 वर्षो से उस आवास में रह रहे हैं। लेकिन अबकी बार हेमंत सोरेन की सरकार ने उनको रांची विधानसभा से उठाकर हटिया विधानसभा में आवास देकर अपनी मंशा जता दी है। नगर विकास मंत्री बनने के बाद सी.पी. सिंह ने दो आवासों को आवंटित करा लिया था जभी विपक्ष के नेता कहते थे कि जब सैया भये कोतवाल तो अब डर काहे का। लेकिन अब सरकार बदलने के बाद लगता है कि अच्छे दिन अब बुरे दिन में तब्दील हो गये हैं। वहीं पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा से बाजार दर से 15 गुणा आवास भाड़ा वसूलने की तैयारी चल रही है। भवन विभाग यह प्रस्ताव बना रहा है। ऐसा में राजबाला वर्मा को करीब सात लाख रुपए तक चुकाने पडेंगे। पिछले साल के फरवरी में ही राजबाला वर्मा अपने पद से रिटायर हुईं, बावजूद इसके उन्होंने सरकारी आवास अपने पास ही रखा है। सेवानिवृति के दो महीने के अंदर सरकारी आवास छोड़ देना है। इस बीच भवन विभाग ने उक्त आवास को कृषि मंत्री बादल को आवंटित किया है। ऐसी स्थिति में घर खाली करने के लिए राजबाला वर्मा को पत्र भेजा जा रहा है। पैसे नहीं देने की स्थिति में विभाग उनकी पेंशन से मकान भाड़ा वसूलेगा। दूसरी ओर आजसू प्रमुख सुदेश महतो 25 लाख, जबकि पूर्व डीजीपी डीके पांडेय ने भाड़ा मद में करीब साढ़े तीन लाख रुपए भरे हैं। इसी प्रकार रिटायरमेंट के बाद भी सरकारी आवास में रह रहे डीके पांडेय को आवास छोड़ने के समय करीब साढ़े तीन लाख रुपए देने पड़े थे।