रामगढ़ झील में आम दिखने वाले पर्पल स्वैम्प हेन के बमुश्किल 10 जोड़े ही दिख रहे हैं। चार साल पहले तक इनकी संख्या 150 से 200 की संख्या में थी। साल-दर-साल इनकी संख्या में आ रही गिरावट से निराश पक्षी प्रेमियों को चिड़ियाघर परिसर में स्थित वेटलैंड में रामगढ़ झील से ज्यादा संख्या में स्थानीय एवं प्रवासीय पक्षी दिखाई दे रहे हैं।
रामगढ़झील में सर्दियां शुरू होने के साथ ही दिसंबर के दूसरे सप्ताह से भोजन की तलाश और प्रजनन के लिए पक्षियों का आगमन होने लगता है। इन दिनों रामगढ़ झील में इरान से रिवर टर्न, यूरोप से ब्लैक विंग स्टिल्ट, अफ्रीका ग्रे हैरोन, लेसर विसलिंग डक, कॉमन रेड शेंक डेरा डाले हुए हैं।
* *इन पक्षियों के बीच पर्पल स्वैम्प हेन स्थानीय पक्षी है। यह पक्षी सबसे ज्यादा आबादी में रामगढ़ झील में दिखती थी। अब इनकी संख्या कम दिख रही है।*
हाल के वर्षो में रामगढ़ झील के आस-पास हुए विकास कार्यों से वाहनों का आवागमन, शोर और मानव हस्तक्षेप बढ़ने के कारण पक्षियों की संख्या कम हो रही है। हालांकि प्राणी उद्यान परिसर स्थित वेटलैंड में ज्यादा संख्या में पक्षी दिख रहे हैं। पिछले दिनों रामगढ़ झील में आए पक्षियों का मण्डलायुक्त जयंत नार्लिकर भी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर चंदन प्रतीक के साथ नजारा ले चुके हैं। वे कैमरे से झील की पक्षियों की फोटोग्राफी की कर चुके हैं।
*मार्च के प्रथम सप्ताह से होगी वापसी*
बड़े समूह में रहने वाला लेसर विसलिंग डक हिमालय के उपरी भाग और साउथ ईस्ट एशिया से आते हैं। मार्च के प्रथम सप्ताह से इनकी वापसी शुरू होगी। इसी तरह यूरोप से आने वाले कॉमन रेड शेंक का तापमान बढ़ने से वापसी की संभावनाएं बढ़ चली हैं। लम्बी चोंच और गुलाबी रंग की लम्बी टांग वाले ब्लैक विंग स्टिल्ट से मण्डलायुक्त प्रभावित दिखे। झील में 100 से अधिक की संख्या में ये पक्षी दिख रहे हैं। हालांकि एक मीटर लम्बाई का ग्रे हैरोन के पांच जोड़े दिख रहे हैं। यह पक्षी यूरोप, एशिया और अफ्रीका से आते हैं।
रामगढ़ झील अब जलकुम्भी निकाल देने से काफी साफ-सुथरा हो गया है। पक्षियों के लिए दलदली जमीन चाहिए ताकि उन्हें खाना और शेल्टर दोनों मिले। झील पर लोगों का आना-जाना काफी बढ़ा है। इसलिए पक्षियों की संख्या प्रभावित हो रही है। प्रशासन के सामने चुनौती है कि पर्यावरण विकास के बीच संतुलन बनाए रखे।