लोहरदगा: दर्द को भी अब दर्द होने लगा है यह कहानी एक 38 वर्षीय पढ़े-लिखे नौजवान की है जो अब सरकारी उच्च विद्यालय में शिक्षक हैं।लेकिन, नियुक्ति के नौवें महीने तक वेतन नहीं मिलने से परिवार की जो परिस्थितियां बन गईं हैं उसे पढ़कर आपको भी दर्द होगा और सच तो यह है कि दर्द को भी दर्द हो जाएगा।
लोहरदगा शहरी क्षेत्र निवासी 38 वर्षीय राजू (काल्पनिक नाम) बी. एड़ की उपाधि लेने के बाद एक नीजि स्कूल में पढ़ाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने लगे।सात सदस्यों वाले परिवार में एकलौता घर चलाने का इंतजाम करने वाले राजू कम कमा कर भी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में लगे रहे ताकि बाल-बच्चों का भविष्य बेहतर बना सकें।अंतत: इनकी मेहनत रंग लाई और झारखंड हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में इनका चयन हो गया।ये थी तो बहुत खुशी की बात लेकिन यहीं से इनकी आजमाईशों का दौर शुरू हुआ।
नवंबर 2018 में जैसे ही इनके चयन की सूचना इनके विद्यालय को मिली, विद्यालय प्रबंधन ने “आपको सरकारी नौकरी लग गई है” कहकर जबरन इन्हें सेवामुक्त कर दिया क्योंकि विद्यालय को लंबे समय तक सेवा देने वाले शिक्षक की आवश्यकता थी। ईधर राज्य और जिला स्तर पर प्रमाण पत्रों के वेरिफिकेशन और लोकसभा चुनाव के कारण नियुक्ति में काफी विलंब हुआ और अंतत: 20 जून 2019 को घर से 20 किमी दूर स्थित एक अपग्रेडेड हाई स्कूल में राजू की नियुक्ति हो गई। नवंबर 2018 से घर चलाने के लिए कोई दूसरा काम भी नहीं किया जा सकता था क्योंकि नियुक्ति कभी भी हो सकती थी और इतने कम समय के लिए काम पर रखता भी कौन? यानि तब से घर का पूरा खर्च ईधर-उधर से कर्ज लेकर ही चलता रहा जो अब तक जारी है, क्योंकि अभी तक इनके वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। इसी बीच एक और खुशखबरी ने इनके परिवार में दस्तक दी।पत्नी पेट से हो गई.. साथ ही साथ पथरी की मरीज भी।विभिन्न शारीरिक समस्याओं के चलते इनकी पत्नी को कई बार अस्पताल में एडमिट कराना पड़ा और फिछले नवंबर से वह लगातार बेड में पड़ी हैं।डॉक्टर ने इसी मध्य मार्च में डिलीवरी की संभावित तारिख भी दे दी है।आपको बताते चलें कि इनकी दोनों संताने सिजेरियन ऑपरेशन से हुई हैं, जाहिर है कि तीसरी भी…!
नियुक्ति के नौवें महीने तक वेतन भुगतान नहीं होने और पिछले 16 महीने से परिवार में कोई कमाई नहीं होने से घर का खर्च कैसे चल रहा होगा, इसका अनुमान आप लगा ही सकते हैं।:
जुर्म इनका यह है कि लोहरदगा जिला के ये उन 29 शिक्षकों में से एक हैं जिन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना से मैट्रीक पास किया है।इन बिहार बोर्ड के 29शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का का सत्यापन अभी तक नहीं हो सका है।लोहरदगा जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अक्टूबर 2019 में प्रमाण पत्रों के सत्यापन हेतू बिहार बोर्ड ऑफिस को पत्र प्रेषित किया गया था लेकिन अबतक फिर उसकी कोई खोज खबर नहीं ली गई।ईधर परेशान शिक्षक जल्द काम होने के लालच में बोर्ड आफिस के एक दलाल के चंगुल में फंस गए।उसने देश के भविष्य संवारने वाले इन शिक्षकों से लगभग 50000 रू. ऐंठ भी लिया और काम भी नहीं किया।लोहरदगा जिला शिक्षा पदाधिकारी महोदय ने प्रमाण पत्रों की जांच के लिए प्रति शिक्षक पन्द्रह सौ रूपये अपने सरकारी खाता में जमा करवाये थे,इसलिए उनको इस संबंध में विशेष रूचि लेनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।हालांकि इस बीच शिक्षक राजू अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर पांच बार डीईओ साहब से मिलकर जल्द सत्यापन कराने का निवेदन किया फिर भी नतीजा शून्य ही निकला।पत्नी की बीमारी और गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे राजू ने एक बार पत्नी के मेडिकल रिपोर्ट ले जाकर डीईओ सर को दिखाया और कम से कम एक महीने का ही वेतन भुगतान कर देने की विनती की।लेकिन टका सा जवाब मिल गया कि इस आधार पर वेतन भुगतान नहीं होगा।अब शिक्षक राजू के सामने बड़ी चिंता इस बात की है कि पत्नी के तीसरे ऑपरेशन और संबंधित अस्पताल खर्च का कहां से इंतजाम हो पाएगा जबकि अभी की स्थिति यह है कि बच्चे पांच रूपया टॉफी खाने के लिए मांगते हैं तो सोचना पड़ता है।अब सवाल यह है कि… 1. क्या सरकारी सिस्टम मजबूर की जान लेकर ही संतुष्ट होगा? 2.आखिर बड़े पदाधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की पकेशानियों को कब महसूस करेंगे? और इन सबसे हटकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि.. सरकारी नियम बड़ी है इंसानियत..?
जिला शिक्षा पदाधिकारी लोहरदगा रतन माहवार से टेलिफोनिक संपर्क साधने पर उन्होंने आश्वस्त किया के होली के बाद विशेष दूत भेजकर सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन का काम करा दिया जाएगा और संभवत अगले मां पेमेंट भुगतान कर दिया जाएगा: