RANCHI : झारखंड विधानसभा चुनाव 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में संपन्न हो गया। पांच चरणों के दौरान 81 विधानसभा सीटों पर 2,26,17,612 मतदाताओं ने कुल 1215 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है। इन प्रत्याशियों को जीत या हार मिलती है, ये 23 दिसंबर को नतीजों के बाद पता चलेगा। 81 विधानसभा सीटों में से पांच सीटों पर सबकी नजरें हैं। पर राज्य की पांच हॉट सीट रांची, दुमका, झरिया, पाकुड़ और जमशेदपुर पूर्वी में सब की नजर है। यह ऐसी पांच सीट है जहां सीधें बीजेपी और महागठबंधन के बीच टक्कर है। जमशेदपुर पूर्वी में त्रिकोणियां मुकाबला है।
जमशेदपुर पूर्वी
यहां झारखंड ही नहीं पूरे देश की है नजर
कुल प्रत्याशी- 20
2014 में वोटिंग- 60.90 प्रतिशत
2019 में वोटिंग- 57.39 प्रतिशत
जमशेदपुर पूर्वी सीट पर झारखंड ही नहीं पूरे देश की नजर है। वजह, यहां मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनकी सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे सरयू राय आमने-सामने हैं। 2014 में सरयू जमशेदपुर पश्चिम से भाजपा के टिकट पर जीते थे। इस चुनाव में टिकट कटा तो उन्होंने चुनावी मैदान में सीएम को चुनौती दे दी। रघुवर दास छठवीं बार बाजी मारने की तैयारी में हैं। कैबिनेट में उनके साथ रहे सरयू राय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सामने हैं। कांग्रेस ने राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर गौरव वल्लभ को मैदान में उतारा है तो झाविमो से तीसरी बार मैदान में अभय सिंह हैं। इस बार मुकाबला कड़ा है और माना जा रहा है कि सबसे रोचक चुनावी संघर्ष इस सीट पर देखने को मिलेगा।
कौन आया चुनाव प्रचार करने
जमशेदपुर पूर्वी सीट पर भाजपा प्रत्याशी रघुवर दास, कांग्रेस प्रत्याशी गौरव वल्लभ व निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय ने अपनी कमान खुद ही संभाली थी। हालांकि तीन दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जमशेदपुर पूर्वी में चुनावी सभा की थी। जहां मुख्यमंत्री सह भाजपा प्रत्याशी रघुवर दास ने मंच शेयर किया था।
पांचवी बार रांची की विधायक की राह में सीपी सिंह, महुआ माजी बनी रोड़ा
रांची कुल प्रत्याशी- 12 2014 में वोटिंग- 48.51 प्रतिशत 2019 में वोटिंग- 49.16 प्रतिशत रांची विधानसभा सीट भाजपा का अभेद गढ़ है। 1990 से भाजपा इस सीट पर कभी नहीं हारी है। भाजपा के सीपी सिंह और रघुवर सरकार के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह यहां से पांचवीं बार जीत के लिए उतरे हैं। इस बार उनका मुकाबला झामुमो प्रत्याशी महुआ माजी और आजसू प्रत्याशी वर्षा गाड़ी से है। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पवन शर्मा भी चुनावी मैदान में हैं जो सीपी के पांचवीं बार किंग बनने की राह के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। 2014 में सीपी सिंह ने महुआ माजी को 58,863 वोटों के अंतर से हराया था।
कौन आया प्रचार करने
रांची विधानसभा सीट पर कोई बड़ा चेहरा पार्टी की ओर से प्रचार करने नहीं आया लेकिन तीन दिसंबर को रांची जिले से सटे खूंटी में नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार करने आए थे। इस दौरान सीपी सिंह ने मोदी के साथ मंच शेयर किया था। मोदी ने खूंटी से ही आसपास के विधानसभा क्षेत्रों के वोटरों को साधने की कोशिश की थी। वहीं रांची से सटे बीआईटी मेसरा में राहुल गांधी ने नौ दिसंबर को महागठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभा की थी। यहां से राहुल ने हटिया, कांके, खिजरी और रांची के मतदाताओं को एक साथ साधने की कोशिश की थी।
जेठानी व देवरानी में सीधी टक्कर, रागिनी और पूर्णिमा चुनाव मैदान में
झरिया कुल प्रत्याशी- 17 2014 में वोटिंग- 57.75 प्रतिशत 2019 में वोटिंग- 51.96 प्रतिशत झरिया सीट पर भाजपा मतदाताओं की फर्स्ट च्वाइस रही है। 2014 के बाद 2019 के चुनाव में झरिया सीट पर सिंह मेंशन और रघुकुल के बीच सीधा मुकाबला है। इस बार सिंह मेंशन की बहू रागिनी सिंह भाजपा और रघुकुल की बहू पूर्णिमा सिंह कांग्रेस प्रत्याशी हैं। मुख्य मुकाबला भी इन्हीं दोनों के बीच है। 2014 में रागिनी के पति भाजपा के संजीव सिंह ने पूर्णिमा के पति कांग्रेस के नीरज सिंह को 33692 वोटों के अंतर से हराया था।
कौन आया प्रचार करने
झरिया सीट पर रागिनी सिंह के लिए भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री रघुवर दास ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। वहीं नरेंद्र मोदी ने भी झरिया से सटे धनबाद में 12 दिसंबर को चुनावी सभा की थी। इस दौरान झरिया भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह ने मंच शेयर किया था। वहीं रागिनी सिंह के लिए झरिया में मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया व राजस्थान के सचिन पायलट ने चुनाव प्रचार किया था।
पाकुड़ आमल, अकील व बेनी में सीधा मुकाबला, कमरूद्दीन कतार में
पाकुड़ कुल प्रत्याशी- 11 2014 में वोटिंग- 80.67 प्रतिशत 2019 में वोटिंग- 76.10 प्रतिशत पाकुड़ में कांग्रेस के आलमगीर आलम, आजसू के अकील अख्तर व भाजपा के बेनी प्रसाद गुप्ता में मुकाबला है। झाविमो के कमरुद्दीन अंसारी नया कोण बना रहे हैं। यहां करीब 70 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम हैं। आलमगीर ने 2014 में झामुमो के अकील को 18066 वोटों से हराया था। कमरुद्दीन के आ जाने से मुकाबला रोचक हो गया है।
कौन-कौन आया चुनाव प्रचार करने
पाकुड़ सीट पर कांग्रेस की ओर से सबसे बड़ा चेहरा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रियंका गांधी के रूप में आया। प्रियंका ने यहां से संथाल परगना के कई सीटों के मतदाताओं को साधने की कोशिश की थी। वहीं भाजपा की ओर से यहां रघुवर दास ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी।
दुमका सीट पर भाजपा- झामुमो सीधी टक्कर
दुमका कुल प्रत्याशी- 13 2014 में वोटिंग- 69.24 प्रतिशत 2019 में वोटिंग- 59.73 प्रतिशत दुमका में भाजपा व झामुमो के बीच सीधी टक्कर को झाविमो की अंजुला मुर्मू रोचक बना रही हैं। 2014 में भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर लुईस मरांडी ने झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री रहते करीब छह हजार वोटों से हरा दिया था। इस बार शहरी क्षेत्रों में भाजपा भारी दिख रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में झामुमो मजबूत है।
कौन-कौन आया प्रचार करने
दुमका विधानसभा सीट पर 15 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा हुई थी। दुमका की धरती से उन्होंने संथाल के कई सीटों के मतदाताओं को साधने की कोशिश की थी। वहीं मोदी से पहले रघुवर दास ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। वहीं झामुमो की ओर से हेमंत सोरेन ने खुद ही चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। हालांकि 18 दिसबंर को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पाकुड़ में चुनावी सभा की थी जहां से उन्होंने दुमका के भी वोटरों को साधने की कोशिश की थी।