RANCHI:. हेमंत सोरेन सरकार
ने झारखंड विधानसभा में राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी किया. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने 19 पन्नों के श्वेत पत्र में पिछली रघुवर सरकार के कार्यकाल में हुए कामकाजों का ब्योरा दिया. साथ ही राज्य की वर्तमान वित्तीय स्थिति को चिंताजनक बताते हुए इसके लिए पिछली सरकार को दोषी माना है. श्वेत पत्र के मुताबिक वर्तमान वित्तीय वर्ष में जनवरी तक मात्र 65.40 प्रतिशत राजस्व की प्राप्ति हो पायी है.
*प्रति व्यक्ति कर्ज 12 से 24 हजार पहुंचा*
राजस्व संग्रह में कमी के कारण इस वर्ष जनवरी तक कुल आवंटन का मात्र 62.33 प्रतिशत ही व्यय किया जा सका है. अनुमानित बजट की अपेक्षा न केवल वास्तविक बजट में कमी आई है, बल्कि राजस्व घाटे में भी वृद्धि हुई है.
2016-17 में राज्य का राजस्व घाटा 4.31 प्रतिशत था, जो 2017-18 में 4.32 प्रतिशत रहा. राजस्व घाटे में वृद्धि के कारण राज्य पर ऋण का बोझ भी बढ़ा है. वर्ष 2014-15 में प्रति व्यक्ति ऋण लगभग 12 हजार था, जो वर्ष 2019-20 में 24 हजार पर पहुंच गया है.
सरकार के ऊपर 33179 हजार करोड़ की देनदारी राज्य सरकार के आकलन के मुताबिक पांच वर्ष में पेयजल और स्वच्छता विभाग, अर्बन डेवलपमेंट, उर्जा सहित 8 विभागों में चल रहे विभिन्न योजनाओं को लेकर सरकार पर 33179 हजार करोड़ की देनदारी है. झारखंड बिजली वितरण निगम के लगातार घाटा में रहने के कारण राज्य सरकार पर डीवीसी का लगभग 4500 करोड़, टीवीएनएल का करीब 4400 करोड़ एवं अन्य संस्थाओं का मिलाकर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है.
*जीएसटी में 1800 करोड़ रुपये का घोटाला*
श्वेत पत्र के जरिए राज्य सरकार ने विगत पांच वर्षों में वित्तीय कुप्रबंधन के कारण जीएसटी में ही 1800 करोड़ रुपये का घोटाला माना है. वहीं कोल कंपनियों पर लगभग 65 हजार करोड़ का बकाया होने का दावा राज्य सरकार ने किया है. मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के कारण राज्य सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ने का दावा किया गया.