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झोपड़ी से निकला डॉक्टर परवेज आलम, एमबीबीएस दे रहे हैं लोगों को बेहतर चिकित्सीय लाभ।

रिपोर्टर नेहाल अहमद

किस्को प्रखंड के आनंदपुर के डॉक्टर परवेज आलम मरीजों को पहुंचा रहे स्वास्थ्य लाभ।

किस्को/लोहरदगा: मंजिल पाने की चाहत अगर सिर पर सवार हो तो गरीबी भी बाधा उत्पन्न नहीं कर पाता है। ऐसा ही एक सख्स गरीब परिवार में पला बढा़ खाली पैर में पैदल चलकर स्कूल की दीवारों को लांघकर अपने सपने को साकार कर दिखाया है। ये कोई कहावत नहीं बल्कि हकीकत है। रांची एक्सप्रेस संवाददाता से विशेष बातचीत में लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत बेटहट अंतर्गत ग्राम आनंदपुर के रहने वाले डॉक्टर परवेज आलम अपनी जीवनी को व्यक्त करते हुए बताया कि एक समय ऐसा था कि इनके पास दाने-दाने का मोहताज था, घर पर खाने के लिए सूखी-रूखी रोटियां कभी-कभार मिलती थी। पढ़ाई करने के लिए अच्छे वस्त्र व पैरों पर चप्पल नहीं होती थी फिर भी मंजिल पाने की चाहत इनके सिर पर सवार था। डॉक्टर परवेज आलम बताते हैं कि इन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा पतराटोली मिशन स्कूल में सन 1983 से लेकर 89 तक खाली पैर व हाफ पैंट खाकी टीशर्ट पहनकर पढ़ने जाया करते थे। स्कूल में टॉपर होने के बाद इनका सरकार की ओर से निःशुल्क में नवोदय विद्यालय चिरी में नामांकन हुआ। उसके बाद आईएससी करने के दौरान बेहतर अंक प्राप्त होने के बाद इन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। इसी बीच खेती गृहस्ती करते हुए किसी तरह अपनी मंजिल की ओर उस झोपड़ीनूमा घर से जारी रखा और डॉक्टरी की तैयारी भी करते रहे। सन 2001 में डॉक्टर परवेज आलम मेडिकल इंटरास टेस्ट झारखंड में 5वां रैंक प्राप्त कर पूरे झारखंड अपने गांव जिला और प्रखंड का नाम रोशन कर दिखाया। उसके बाद इन्होंने रिम्स में एडमिशन लेकर जेनरल फिजिशियन के रूप में अपनी तैयारी करने लगे। सन 2006 में इन्होंने रिम्स से एमबीबीएस की उपाधि प्राप्त करने के बाद 2007 में पटना से शादी कर स्वयं एवं परिवार बूढ़े मां बाप की जिम्मेवारी को लेकर अपने कदम को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते रहे। इसी बीच इन्हें रेलवे में भी हाथ आजमाने का मौका मिला। जेपीएससी में इनका 30 वां रैंक प्राप्त हुआ। इन्होंने रेलवे की नौकरी ठुकरा कर बॉम्बे हॉस्पिटल इंदौर में सेवा दिया। वहां से इन्होंने झारखंड के सदर अस्पताल गढ़वा में योगदान दिया वहां पर इनके कार्यों से जिले के लोग काफी प्रभावित हुए। लेकिन डॉक्टर परवेज आलम को अपने जीवन की गाड़ी को और भी सशक्त बनाने की चाहत थी। यही वजह था कि इन्होंने सीधे विदेश कूच कर गये जहां पर सन 2011 में सऊदी अरब में रहकर लगभग डेढ़ साल किंग फहद सेंट्रल हॉस्पिटल जजान में आईसीयू में ड्यूटी दिए उसके बाद पुनः जनवरी 2013 में स्वदेश लौट आए। उसके बाद डॉक्टर परवेज आलम हॉस्पिटल रांची में 2 साल तक सेवा दिए, 2016 में भगवान महावीर मेडिका हॉस्पिटल रांची में 1 साल तक सेवा दिए, पारस अस्पताल पटना में आईसीयू इंचार्ज के रूप में 1 साल तक सेवा दिए, उसके बाद कटिहार मेडिकल कॉलेज में आईसीयू इंचार्ज के रूप में 1 साल तक योगदान दिए। सिर्फ इतना ही नहीं डॉक्टर परवेज आलम के कार्यों से पूरे देश भर के बड़े-बड़े चिकित्सक काफी प्रभावित थे। यही वजह था कि इन्हें वेस्ट बंगाल के फरक्का हयात हॉस्पिटल में नियुक्ति मिली जहां पर इन्होंने 1 साल तक अपना योगदान दिए। फरक्का हयात हॉस्पिटल में अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने अल्ट्रासाउंड का भी ट्रेनिंग पूरा किया। उसके बाद सन् 2020 में इन्होंने मन बनाया कि अब हमें अपने उसी जमीन पर लौट जाना चाहिए जहां से अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी फिर किया था सीधे किस्को प्रखंड अंतर्गत ग्राम आनंदपुर लौट आए जहां पर लॉकडाउन होने की वजह से घर में रहकर ही लोगों को अपने अनुभव को साझा करते थे और बेहतर चिकित्सीय लाभ देने का काम कर रहे थे। इसी दौरान गांव के लोगों ने डॉक्टर परवेज आलम से संपर्क स्थापित कर आग्रह किया कि गांव में क्यों ना एक बेहतर हॉस्पिटल का निर्माण किया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ दिया जा सके इसपर डॉक्टर परवेज आलम काफी खुश हुए और 2020 में मोमिना हॉस्पिटल का निर्माण कर वर्तमान समय में कम खर्च में सैकड़ों गरीब असहाय लोगों को बेहतर चिकित्सीय लाभ प्रदान कर चुके हैं। डॉ परवेज आलम बताते हैं कि बाहर पैसा है लेकिन सुकून नहीं, गांव में शुद्ध पर्यावरण सुकून और शांति सब कुछ है, अपने गांव की मिट्टी की खुशबू चाहे वो कितने बड़े बिजनेसमैन क्यों ना हो या कितने बड़े अरबपति, वैज्ञानिक या फिर कोई भी ओहदा पर क्यों ना हो उन्हें अपनी ओर खींच लाता है। डॉक्टर परवेज अलम बताते हैं मेरे द्वारा गांव में रहकर लोगों को बेहतर चिकित्सीय परामर्श देने की सूचना जैसे ही लोहरदगा जिला प्रशासन को मिली तो जिले के उपायुक्त डॉक्टर दिलीप कुमार टोप्पो उप विकास आयुक्त अखौरी शशांक सिंहा अनुमंडल पदाधिकारी अरविंद कुमार लाल द्वारा जिले में कोरोना महामारी संक्रमण का भयावह रूप लेता देख मुझे सदर अस्पताल में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इधर जिला प्रशासन द्वारा कोविड से जिले के लोगों को बेहतर चिकित्सीय लाभ मिले इसे लेकर सदर अस्पताल लोहरदगा में वेंटिलेटर इंचार्ज के रूप में इन्हें योगदान दिलाया गया। तत्पश्चात इन्होंने सदर अस्पताल लोहरदगा में वर्तमान समय में वेंटिलेटर का कार्यभार संभाले हुए हैं। साथ ही जनता हॉस्पिटल लोहरदगा में भी डॉक्टर परवेज आलम मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ देने का कार्य कर रहे हैं। इधर डॉक्टर परवेज आलाम को गांव में हास्पिटल संचालन में आनंदपुर निवासी रफीक अंसारी एवं रूस्तम अंसारी सहित गांव के सभी लोगों ने हौसला बढ़ाया। आज के बदलते युग में ग्रामीण क्षेत्र में परवेज आलम जैसे एमबीबीएस डॉक्टर से लाभ मिलना काफी सुखद अहसास देने जैसा है।

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