मुजफ्फर हुसैन संवाददाता, रांची
ओरमांझी:- भारत सरकार के द्वारा मानसून सत्र के दौरान कृषि बिल पारित किया गया है। जिसमे भारत के किसानों के लिए आत्मघाती साबित होगा। कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर पूरा किसान संगठन फिर से एकजुट हो कर डटे हुए है। खाद्यान्न उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली हरित क्रांति का पथ प्रदर्शक होने के नाते पंजाब शायद वह आखरी राज्य होता जिनसे नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि सुधारों के खिलाफ विद्रोह की उम्मीद की जाती थी। फिर भी सुधारों के कानून बनते हैं। यहां के किसान राज्य भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे है। इसी तीखे विरोध के चलते शिरोमणि अकाली दल को एनडीए से नाता तोड़ लेना पड़ा और हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। किसान विरोधी कानून के खिलाफ रांची जिला ग्रामीण के निर्देशानुसार ओरमांझी प्रखंड कांग्रेस कमिटी के माध्यम से महामहीम राज्यपाल झारखण्ड को ज्ञापन सौपा गया।
मुख्य मांग:-
1) इस काले कानून को अविलम्ब वापस ले।
2) किसान विरोधी कानून को झारखण्ड में लागू नहीं होने दिया जाए।
3) किसान विरोधी कानून लागू होने से बिचौलिया हावी हो जायेंगे।
मौके पर उपस्तिथ रांची जिला ग्रामीण कांग्रेस उपाध्यक्ष सुरेश प्रसाद साहू, ओरमांझी प्रखंड कांग्रेस कमिटी के प्रखंड अध्यक्ष तुलसी खरवार, खाद्य आपूर्ति विभाग प्रतिनिधि सफीउल्लाह अंसारी, सुरेंद्र उराव, बलराम महतो, सुकरा मुण्डा, एहतेशाम (बबली), शहनाज इत्यादि उपस्तिथ थे।