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कोयलांचल समेत अन्य क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद मिलादुन्नबी मनाया

Ranchi: खलारी कोयलांचल के विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए मंगलवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद मिलादुन्नबी मनाई।हालांकि झारखंड सरकार के द्वारा कोविड-19 गाइड लाइन को देखते हुए मुस्लिम समाज ने यह फैसला लिया है कि पहले खुद भांति इस वर्ष ईद मिलादुन्नबी, का जुलूस नहीं निकाला जाएगा। कोविड-19 के गाइडलाइन को देखते इस वर्ष यह तय किया गया है कि ईद मिलादुन्नबी के जुलूस को मोहल्ले में ही निकाला जाएगा और वापस फिर लोग अपने घर को चले जाएंगे। हर वर्ष ईद मिलादुन्नबी के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा विशाल जुलूस निकाला जाता था, जो इस वर्ष नहीं निकला जाएगा। इस दौरान खलारी बैंक चौक के समीप मुस्लिम सामाजिक संस्थाओं के द्वारा तिलावत के बाद मिठाइयों का वितरण भी किया जाता था। जुलूस में शामिल लोगों के ऊपर फूलों की बारिश भी की जाती थी और इसके बाद लोग फातिहा खानी कर जरूरतमंदों के बीच खाना की सामग्री का भी वितरण किया जाता था यह सब करने के बाद लोगों अपने घर को चले जाते थे। लेकिन कोरोना काल से तीन वर्षों लगातार जुलुस नहीं निकला जा रहा है।

क्यों मनाते है मुस्लिम समुदायईद मिलादुन्नबी इसका महत्व और इतिहास जाने
571 ईसवी, को सऊदी अरब के शहर मक्का में पैगंबर साहब हजरत मुहम्मद (सल्ल) का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने ही इस्लाम धर्म को मजबूती के साथ पूरी दुनिया में कायम किया है। आप हजरत मोहम्मद,(सल्ल) इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला है। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं, मोहम्मद (सल्ल) को वहीं पर (अल्लाह) रब्बुल इज्जत ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल, (अलै) के मार्फत पवित्र क़ुरआन संदेश सुनाया। (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के रसूल मोहम्मद, (सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम) से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बूतों की पूजा करते थे। सैकड़ों की तादाद में, कबीले थे । जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था। आप (सल्ल) ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया। लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए। साथ ही सभी लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए। साथ ही (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के पवित्र संदेश को भी सभी लोगों तक पहुंचाया। इस मौके परसदर गुलाम रसूल,सेक्रेटरी मोहम्मद फैयाजउद्दीन सिद्दीकी, मोहम्मद साबिर अंसारी, मोहम्मद जॉनी रजा, मोहम्मद सद्दाम, मोहम्मद अशरफ अली,मोहम्मद आदिल जफर,मोहम्मद जावेद अंसारी,मोहम्मद कुर्बान अंसारी,मोहम्मद जावेद,मोहम्मद अरमान खान, मोहम्मद चांद अंसारी, मोहम्मद परवेज आलम ,अब्बास अंसारी,सफीक अंसारी आफताब आलम ताहिर हुसैन अकबर खान नौशाद रजा हुसैन रिजवी वसीम अंसारी सद्दाम अंसारी राजू शाह हुसैन, नासिर अंसारी,आलम अंसारी, मोनू खान नियाज रिजवी जावेद शम्स आजाद उपस्थित थे।

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