कुडू – लोहरदगा : कुडू में पेयजल विभाग में कार्यरत ऑपरेटर हारून रशीद और मनोज भगत का मानदेय पिछले 2 वर्षों से बकाया है। विभाग के आश्वासनो और पंचायत प्रतिनिधियों की टाल मटोल के बिच अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि इनका मानदेय देगा कौन और कब देगा ? लेकिन बिना तनख्वाह के लागातार 24 महीने से लोगों को पानी मुहैया कराने वाले इन ऑपरेटरों के परिवारों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा। इनका कहना है कि ये कर्ज के बोझ में डूब गए है। इनकी हालत इतनी दयनीय हो गई है इन्हे अपने परिवार के इलाज व और दो वक्त की रोटी के जुगाड के लिए दर दर की ठोकरे खाना पड रहा है। और एक एक पैसे के लिए तरसना पड रहा है। फिलहाल इसे ग्राम पंचायतों की या पेयजल विभाग की उदासीनता कहा जाय या कुछ और लेकिन शुद्ध पानी पहुंचाने के उद्देश् से करोड़ के पेयजल योजना को पलीता ज़रूर लग गया है। फ़िलहाल स्थिति ऐसी बनी हुई है कि पेयजल योजना दम तोड़ती नज़र आरही है। गौर तलब है कि जिले की सबसे बड़ी आबादी वाले कुडू प्रखंड के कुडू और टाटी पंचायत में वर्ष 2016 में शुरू हुआ पाइप लाइन के जरिए पेयजल सप्लाई का काम 2018 मे पूर्ण हुआ था। तब पेयजल व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने उसका रखरखाव के लिए रखे गए ऑपरेटरों को कंपनी द्वारा 6000 रु प्रति माह दिया जाता रहा, काम पूरा करने के बाद कम्पनी ने योजना को 7 जनवरी 2019 को ग्राम पंचायतों के हैंडओवर कर दिया। तब से आज तक ऑपरेटरों को इस वर्ष मई माह में 4- 4 हज़ार रूपये ही मिले जो प्रतिदिन 50 पैसे मेहनताना के हिसाब से ही होगा। इतने में ही लाॅक डाउन के दौरान भी आपरेटर अपनी जान की परवाह किए बगैर ग्रामीणों को पीने का पानी मुहैया करवाने में अपनी सेवाएं देते रहे। फिलहाल यह जांच का विषय है कि ऑपरेटरों के वेतन में कौन गड़बड़झाला कर इनके पेट में लात मारने का काम कर रहा है। इधर विभाग के अधिकारीयों के आश्वासनों से थक चुके ऑपरेटरों ने अपने मानदेय के भुगतान के लिए उपायुक्त से 26 जून, 5 सितंबर और 27 अक्टूबर को आवेदन देकर गुहार लगाईं। बाद में मामला श्रम अधीक्षक तक पहुंचा और श्रम अधीक्षक के ज्ञापांक 394 दिनांक 9/9/20 के माध्यम से कुडू मुखिया शुष्मा देवी और टाटी मुखिया आशा देवी को शिकायत में वर्णित बिन्दुओं से संबंधित तमाम अभिलेख और पंजियों के साथ जांच हेतु 28 सितंबर को उपस्थित होने का निर्देश दिया था।
*बॉक्स में* :- ऑपरेटरो के बकाया के संबंध में कुडू की मुखिया सुषमा लकड़ा का कहना है कि हम लोग ऑपरेटरों को काम मे नही रखे है, वे लोग बहुत पहले से ठीकेदारों के अंडर में काम करते थे। हम लोगो को जब विभाग पानी आपूर्ति की जिम्मेवारी सौपी उस समय बताया गया कि प्रति कनेक्शनधारी लाभुको से प्रति माह 60 रुपये पानी का मासिक चार्ज लेना है, पैसे तासिलने के लिए वाड सदस्यों की एक समिति भी बनाया गया था। लेकिन जब लोग उपभोक्ताओं के यहां पानी का मासिक शुल्क मांगने जाते है तो अधिकतर लोग पैसा देने से इंकार करते है। इस परिस्थिति में पानी सप्लाई कराना काफी मुश्किल है।
कुडू में शुुद्ध पेयजल आपूर्ती करने वाले पंप आपरेटरो को वेतन के लाले, कर्ज में डूबे आपरेटर मानदेय के लिए लगा रहे अधिकारीयों से गुहार।
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