8 दिसंबर को भारत बंद सफल करने का आह्वान किया गया।
शिष्टमंडल ने बीडीओ से मिलकर ज्ञापन सौंपा
चंदवा। धर्मनिरपेक्ष – वाम पार्टियों एवं सामाजिक व जनसंगठनों के राज्यब्यापी अह्वान पर कॉग्रेस, माकपा, झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा, भीम आर्मी ने किसान विरोधी कृषि बिल के खिलाफ संयुक्त रूप से पेंशनर समाज भवन से रैली निकाली जो मुख्य पथ चेकनाका चौंक का भ्रमण करते हुए प्रखंड कार्यालय पहुंचकर प्रर्दशन किया, सभा की, इसमें शामिल आंदोलनकारी भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार शर्म करो, किसानों पर जुल्म करना बंद करो, किसान विरोधी कृषि बिल रद्द करो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार मुर्दाबाद, गृहमंत्री अमित शाह मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे, सभा की अध्यक्षता झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा सचिव जितेन्द्र सिंह ने की, कॉग्रेस पार्टी के प्रखंड अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद प्रतिनिधि असगर खान, जिला उपाध्यक्ष रामयश पाठक, कॉग्रेस सेवा दल जिला अध्यक्ष बाबर खान ने कहा कि इस कोरोना महामारी के समय जब देश की जनता गंभीर स्वास्थ्य संकट से गुजर रही है थी उस समय किसान संगठनों और राज्य सरकारों से बिना विचार विमर्श किए और संसद में बिना समुचित चर्चा कराए तथा विपक्ष के भारी विरोध और मत विभाजन की मांग को दर किनार कर केंद्र सरकार ने 20 सितंबर 2020 को जबर्दस्ती किसान विरोधी कृषि विधेयकों को पारित करा लिया, इसके पूर्व नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाकडाउन की अवधि मे 5 जुन को इन तीनों बिलों को अध्यादेश जारी कर लागू किया गया था, सरकार की इस जल्दबाजी के पीछे एकमात्र उद्देश्य कृषि को पूरी तरह कॉरर्पोरेट घरानों के हवाले करना था, माकपा के पूर्व जिला सचिव अयुब खान, भारत एकता मिशन (भीम आर्मी) के जिला अध्यक्ष बिरेंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस अलोकतांत्रिक तरीके से कृषि कानून लाया है इससे हमारे देश के संघीय ढांचे कमजोर हुआ है, क्योंकि भारत के संविधान मे कृषि राज्य का विषय है और बिना राज्य सरकारों से सलाह मशविरा किए इससे संबंधित कानून बनाना देश के संविधान के नियम कायदों की अवहेलना है,
देश के किसान पिछले तीन महिनो से आंदोलित हो रहें हैं और अब वे राजधानी दिल्ली की ओर कूच कर गए है जिससे स्थिति गंभीर होती जा रही है, आगामी 8 दिसंबर को भारत बंद को सफल करने की आह्वान की गई है, सभा के बाद एक शिष्टमंडल ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अरविंद कुमार से मिलाकर उन्हें महामहिम राष्ट्रपति के पद नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 (ख) किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020 (ग) किसान( सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020 को पुरी तरह रद्द किये जाने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने, बिजली(संशोधन) विधेयक वापस लेने, किसानों के लिए स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशों को लागू करने, किसानों को सभी फसलों के लिए न्युनतम सर्मथन मुल्य (एमएसपी) के भुगतान की गारंटी किए जाने के साथ ही धान का समर्थन मुल्य 20 रुपया 70 पैसा पर सरकारी और निजी क्रय केंद्रों पर खरीद की गारंटी करने की मांग गई है, इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश कुमार उरांव, श्रीराम शर्मा, अरूण भारती, साजीद खान, संदीप टोप्पो, सरवर अंसारी, हातिम मियां, ललन राम, मो0 रसीद, छठन राम, रविशंकर जाटव, नौसाद खान, दामोदर उपाध्याय, विक्की खान, सदाम खान, बालेश्वर उरांव, मनीष भारती, सागर प्रजापति, रिझरूस पाल एक्का सहित कई लोग शामिल थे।