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केन्द्र और राज्य सरकार पर लगाया किसानों के साथ कर्जमाफी पर वादाखिलाफी का आरोप। अयूब खान

कर्जमाफी नहीं होने एवं ऋण वसूली पर सख्ती से नाराज हैं किसान।

केन्द्र और राज्य सरकार पर लगाया किसानों के साथ कर्जमाफी पर वादाखिलाफी का आरोप।

LATEHAR – किसानों का कर्जमाफी एवं ऋण वसूली पर सख्ती को लेकर झारखंड राज्य किसान सभा से जुड़े किसान सोमवार से बजारटांड़ खेत की जमीन में दो फीट गहरे गड्ढे में दर्जन भर किसान समाधि पर बैठ गए, उनकी मांग है किसानों की कर्ज तत्त्काल माफ किया जाय, बैंक प्रबंधकों द्वारा ऋण वसूली में बरती जा रही सख्ती में अंकुश लगाया जाय, झारखंड राज्य किसान सभा जिला अध्यक्ष अयुब खान ने कहा है कि झामुमो और कांग्रेस दोनों ही दलों ने विधानसभा के अपने अपने चुनावी घोषणा पत्रों में किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया था, कहा था कि राज्य में सरकार बनते ही तुरंत किसानों की ऋण माफ कर दिया जाएगा, लेकिन राज्य में युपीए सरकार का गठन हुए दो माह हो गए अबतक कर्जमाफी नहीं कि गई है,

कई प्रदेशों में सरकार बनते ही कॉग्रेस ने तुरंत कर्जमाफी का फैसला लिया था, इसी तरह के फैसले की उम्मीद झारखंड के किसानों को भी थी, परंतु ऐसा नहीं हुआ, पुंजीपति घरानों की लोन शीघ्र माफ कर दिए जाते हैं किंतु किसानों का कर्जमाफी मामले को लटका दी जाती है, केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी किसानों के साथ छल किया है, कहा था किसानों के अच्छे दिन आएंगे, उनके लागत फसल के दुगने दाम दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ, सरकार आगे कहा है कि जिले के सभी बैंक प्रबंधक अभियान चलाकर जल्द कर्ज चुकाने व रेनुअल कराने का दबाव किसानों पर बना रहे हैं, कर्ज शीघ्र अदा न करने वाले किसानों को नोटिस भेजकर कानुनी कार्रवाई की भी धमकी उन्हें दी जा रही है, इससे किसान काफी परेशान है, बैंकों की सख्ती से कई किसान घर छोड़ने को मजबुर हो रहे हैं, जिले में लगातार अकाल सुखाड़ के कारण माकपा जिला सचिव सुरेन्द्र सिंह, किसान जयपाल उरांव, रामलाल उरांव, गनपति लोहरा, बालक राम,मंटु राम, गोपी गंझु, सोहराई गंझु, व अन्य किसानों ने कहा है कि वर्ष दर वर्ष कभी अतिवृष्टि, कभी अनावृष्टि तो कभी फसलों पर जैविक प्रकोप व दुर्घटनाओं से किसान बद से बदतर होता जा रहा है, कृषि ऋण की अदायगी भी उनके सामने संकट बनकर खड़ा है, दुसरों को पेट भरने वाला कर्ज मे डुबा अन्नदाता किसान खुद भुखा रहने को विवश हैं, बैंकों व महाजनों की वसूली से परेशान होकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं, समाधि पर बैठ रहे हैं, और सरकारें चैन की नींद सो रही है, किसानों कि मांग है कि राज्य सरकार किसानों से कर्जमाफी कि किए अपने वादे को जल्द पूरा करे, किसानों के समर्थन में महिलाएं भी बैठी हुई थी,
समाधि पर बैठने वाले किसानों मे पचु गंझु, हुगल गंझु, इस्तेखार खान, अर्जुन गंझु, अनिल मुंडा, मिस्टर उरांव, सुखु नगेशिया, सनिका मुंडा, पौलुस मुंडा, गबरेल बरजो, सिमौन भेगरा, महेंद्र साव, सनीफ मियां, रविन्द्र उरांव, असरफुल खान, सजेबुल खान, परवेज खान, अंगरेज खान, रसीद मियां, असरफ टेलर, समशेर साह चिस्ती, बैजनाथ ठाकुर, बिनोद उरांव, गनपति लोहरा, बिनेशर उरांव, अमर उरांव, सिबा उरांव, सुधू उरांव, बलेशर मिंज, द्वारीका ठाकुर, रंथु उरांव, समर्थन में बैठी महिलाओं में फ़हमीदा बीवी, आशा देवी, कशीरन बीवी, सधनी देवी, हबीसन बीवी, आरो देवी, आरती देवी, फुलो देवी, सुमित्रा देवी, हिरामनी देवी, सकुंतला देवी, तिलया देवी, अनीता देवी, बसंती देवी, सनिचरीया देवी, फुलो देवी, शिला देवी, जिरमनी देवी, जतरी देवी,देनिसवरी देवी सुकरी देवी बिगनी देवी कसिरन बिबी आशा देवी अजमेरून बिबी,

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