LATEHAR: चंदवा मे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध किया, और सरकार के समर्थक दलों पर झुठ फैलाने का आरोप लगाया है,
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह मोदी विरोध नहीं, भारत के नागरिक होने के बाद भी घुसपैठिया बनाने की भाजपा सरकार कोशिश कर रही है
कहा कुछ लोगों को यही नहीं समझ आ रहा है कि दलित, आदिवासी, पिछड़े, मुस्लिम और सामान्य वर्ग के लोग नागरिकता और एनआरसी का विरोध क्यूं कर रहे हैं, उनको लगता है कि वो ये सब मोदी विरोध में कर रहे हैंं,
सरकार कहती है कि नागरिकता से भारतीय समुदायों और खासकर मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, उन्हें चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है,
लेकिन यहां बात सिर्फ नागरिकता कानून की नहीं है, दरअसल में असल लड़ाई नागरिकता और एनआरसी के घातक कॉम्बिनेशन की है, गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल प्रस्तुत करते वक्त संसद में बार बार कहा है कि वह पूरे भारत में एनआरसी लागू करना चाहते हैं,
अब ये किस तरह से खतरनाक है और इससे भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर क्या असर पड़ेगा इससे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि
सभी समुदायों को एनआरसी के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा जाता है,
सभी वांछित दस्तावेज प्रस्तुत करने में नाकाम रहते हैं,
दस्तावेजों की कमी की वजह से किसी कि नागरिकता प्रमाणित नहीं हो पाती,
अब इसमें जो गैरमुस्लिम है नागरिकता संशोधन एक्ट की वजह से नागरिकता प्रदान की जायेगी और वह भारत का नागरिक बना रहेगा, उसके सारे नागरिक अधिकार बरकरार रहेंगे, पर जो मुस्लिम है उसको नागरिकता कानून के नियमानुसार नागरिकता नहीं मिल पायेगी, उसको शरणार्थी घुसपैठिया माना जायेगा, आप इस चीज को एक बार मुसलमानों के नजरिए से सोचकर देखिए, क्या अब भी आपको लगता है कि हम ये सब भारत के पड़ोसी देशों में प्रताड़ित हिंदुओं को नागरिकता देेने के विरोध कर रहे हैं,
तो मेरे भाई ऐसा नहीं है, हम उनका अपने देश में खुले दिल से स्वागत करने को तैयार हैं, आपकी तरह ही, हमें भी पता है कि उनका धार्मिक जन्म स्थान ही भारत है, वो यहां नहीं आयेंगे तो कहां जायेंगे, हम बिल्कुल उनका स्वागत करने को तैयार हैं, पर भाई यहां तो हमारी अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी, हमारी खुद की नागरिकता खतरे में पड़ी हुई है, फिर भी हम विरोध न करें, कुछ लोग कहते हैं अगर नागरिकता छिन भी गई तो क्या, वापिस से अप्लाई तो कर सकते हैं, पर जो भारतीय नागरिक हैं वो दुबारा से अप्लाई क्यूं करें,
एक बार नागरिकता छिन जाने के बाद और दुबारा नागरिकता पाने के बीच के समय में क्या होगा इस पर ठीक से सोचिए,
मान लीजिए मैं नागरिकता प्रमाणित करने के लिए वांछित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया,
फिर क्या होगा मैं शरणार्थी माना जाऊंगा, मुझे डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा घुसपैठियों की तरह,
मेरे सारे नागरिक अधिकार छिन जायेंगे, रोजगार छिन जायेगा,
सारी संपत्ति अवैध हो जायेगी,
और फिर आप कहेंगे कि अब आओ आवेदन करो अगर नागरिकता लेनी है तो,
फिर आपकी मर्जी, शायद आप इतने से समझ गये होंगे कि हमारा विरोध जायज है या नाजायज,
और अगर आपको लगता है कि नागरिकता सिद्ध करना इतना आसान काम है तो असम वालों से पूछो वहां एक आर्मी नेवी ऑफिसर जिसने 20 साल देश सेवा की एनआरसी में नाम नहीं आया और उसे डिटेंशन सेंटर जाना पड़ा कारगिल में लड़े थे शायद, पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद का परिवार, दो बार एनआरसी हुई दोनों बार लिस्ट में नाम नहीं आया, आज सरकार के सर्वे में इतना गड़बड़ी है कि भू सर्वे को ही देख लीजिए कितनी गड़बड़ है, वोटर लिस्ट में नाम किसी का फोटो किसी का, इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, जब ऐसे शिक्षित, जागरूक, और उच्च वर्ग के लोगों के पसीने छूट रहे हैं अपनी नागरिकता साबित करने में तो मुस्लिम दलित आदिवासी पिछड़े और सामान्य वर्ग समेतआम आदमी का हाल किया होगा यह समझा जा सकता है,
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामाजिक कार्यकर्ता मो0 फिरोज अहमद, अयुब खान, मो0 आरिफ, असगर खान, बाबर खान, अजमतुल्ला अंसारी, मो0 मकसुद, तनवीर आलम, वसीम अंसारी, साबीर खान, अजीज अंसारी, मो0 समद, मो0 उमर, मो0 जुनेद, मो0 एकबाल, मो0 दानिस, मो0 नसीम, नाजीस अहमद, मो0 आसीफ, मो0 गफार, मो0 सादीक, मो0 मिस्टर, मो0 इनुस, मो0 तारिक अनवर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।