रिपोर्ट मोहसिन खान
ग्राम न्यायालय के शुरू हो जाने से जिला न्यायालयों में 50% मुकदमों का बोझ होगा कम।
रांची जिले के मांडर प्रखंड में ग्राम न्यायालय का कार्यालय बनकर तैयार है ग्रामीण क्षेत्रों में त्वरित न्याय नहीं मिल पाता जिसके कारण दूरदराज के लोगों को काफी परेशानी होती है साथ ही जिले में मुकदमों की संख्या काफी बढ़ रही है ग्रामीणों को जिला मुख्यालय में स्थित न्यायालयों में काफी कठिनाई होती है इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने ग्रामीण न्यायालय अधिनियम 2008 पारित किया जिसे झारखंड में 2009 में स्वीकृति मिली।
ग्रामीण स्तर पर सर्वसाधारण वर्ग को सुलभता पूर्वक न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से ग्राम न्यायालयों का गठन किया गया है इसके अधीनस्थ 6 जिलों में ग्राम न्यायालय को पहले सत्र के लिए स्वीकृति दी गई है इसमें कोडरमा जिले के कोडरमा प्रखंड देवघर जिले के मधुपुर प्रखंड सिंहभूम जिले के बहरा गोड़ा प्रखंड दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड और रांची जिले के बुंडू और मांडर प्रखंड में ग्राम न्यायालय की स्थापना की जानी है।
समाजसेवी सईद अख्तर ने कहा की ग्राम न्यायालय के शुरू हो जाने से आसपास के लोगों को काफी सुविधा मिलेगी अब क्षेत्र के लोगों को न्याय के लिए जिला मुख्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा वही
कैसे होगा ग्राम न्यायालय में मामलों का निपटारा
इसमें सिविल मामलों को आपसी समझौते से जबकि आपराधिक मामलों में प्ली बारगेनिंग के माध्यम से अभियुक्तों को अपना अपराध स्वीकार करने का मौका मिलता है एक अनुमान के मुताबिक ग्राम न्यायालयों के आने के बाद करीब 50 प्रतिशत मुकदमा का निपटारा आसानी से हो जाएगा न्यायालय के बन जाने से क्षेत्र के लोगों में काफी हर्ष का माहौल बना हुआ है।
अनुमंडल जनचेतना मंच के संयोजक अजय भगत ने कहा कि इस कार्य के लिए हम लोग काफी खुश हैं और सरकार का आभार व्यक्त करते हैं।