मुजफ्फर हुसैन अंसारी संवाददाता, रांची
रांची: आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की बरसी के मौके पर उन्हें खिराज ए अकीदत पेश करते हुए नवाब चिश्ती ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद का हर धर्म के प्रति सम्मान करना उन्होंने बताया था और शिक्षा को विकास की बुनियाद की रीढ़ बताया था।
भारत के मुसलमानों के लिए उनका उद्येश्य मुसलमान युवकों को क्रांतिकारी आन्दोलनों के प्रति उत्साहित करना और हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल देना था। उन्होने कांग्रेसी नेताओं का विश्वास बंगाल, बिहार तथा बंबई में क्रांतिकारी गतिविधियों के गुप्त आयोजनों द्वारा जीता। उन्हें 1920 में राँची में जेल की सजा भुगतनी पड़ी। झारखंड में उनकी अपनी विरासत है जो आज मौलाना अबुल कलाम आजाद कॉलेज के नाम से जाना जाता है।
जब राजधानी के कई कॉलेज में दाखिला ना मिला तो मैंने मौलाना आजाद कॉलेज में एडमिशन लिया मैं उस कॉलेज से 2006 से लेकर 2008 तक इंटर की पढ़ाई पूरी किया हूं और आंदोलन करते हुए आज कई सामाजिक राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बातों को रखता हूं तथा हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए हमें भारत की एकता अखंडता को बचाने के लिए हम उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने की कोशिश करता हूं।