सुचनार्थ प्रकाशनार्थ, 18 नवंबर 2020
सच्चर कमिटी कि रिपोर्ट राज्य में जल्द लागू नहीं करने पर 23 नवंबर को धरना।
चंदवा। मुस्लिम बुद्धिजीवियों की बैठक उप प्रमुख फिरोज अहमद की अध्यक्षता में विश्रामागार में संम्पन हुई, बैठक में वक्ताओं ने कहा है कि राज्य की युपीए नेतृत्व वाली मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार ने अपने 2019 की विधानसभा के चुनावी घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि सत्ता में आते ही झारखंड में सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू किया जाएगा, अब समय आ गया है कि सरकार अपने चुनावी वादे सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू करें, आगे कहा कि जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के 10 साल पूरा हो गए हैं, लेकिन इसकी लगातार अनदेखी की जा रही है, कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट ने असलियत से पर्दा उठाने का काम किया है, मुस्लिमों को उनके अधिकार मिलने चाहिए, आज के समय में मुस्लिमों की स्थिति बद से बदतर हुई है, उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं हो रहा है, पहले राजनीति को मजहब से नहीं जोड़ा जाता था, मगर आज राजनीति पर मजहब हावी हो गया है, संविधान के तहत हम सभी एक समान है, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आज भी उतनी प्रासंगिक है जितनी वह पहले थी, सच्चर कमिटी की रिपोर्ट एक जाना – माना ऐतिहासिक दस्तावेज है, इस रिपोर्ट के जरिए मुस्लिम समाज के बहाने पूरी भारतीय समाज की झलक मिलती है, मनुष्य को जीवन जीने के लिए सिर्फ रोटी ही नहीं बल्कि समानता, सुरक्षा, पहचान और सम्मान भी चाहिए, आज अल्पसंख्यक समुदाय में जिन लोगों के पास भौतिक संसाधन मौजूद हैं उन्हें भी नागरिक के नाते सम्मान नहीं मिलता जिसके वे संविधान के तहत वह हकदार हैं, मुस्लिम को शक की निगाह से देखा जाता है, सच्चर कमिटी की रिर्पोट के अनुसार मुस्लिम समाज सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्तर पर खासा पिछड़ा हुआ है, और 2006 से इनका स्तर नीचे गिरता जा रहा है, प्रशासनिक पदों पर मुस्लिमों का नाम मात्र का प्रतिनिधित्व है, सामाजिक तौर पर आज वह अलग – थलग पड़ गए हैं, मुसलमान होना आज खतरे का निशान बन चुका है, सच्चर कमेटी की सिफारिश से पहले भी कई सिफारिशें की गई मगर यह अलग और अनूठी रिपोर्ट है, क्या कारण है कि ऐसी चर्चित रिपोर्ट के बावजूद अल्पसंख्यकों की वास्तविक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ रहा है, भारतीय जेलों में सबसे ज्यादा संख्या में अल्पसंख्यक मौजूद हैं, इस समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, सबका साथ सबका विकास एक भावनात्मक जुमला है, वास्तविकता इसके उलट है, विविधता भारत की पहचान है, इस कमिटी की सिफारिशों पर आजतक अमल बहुत कम और वादे बहुत ज्यादा हुए हैं, हमें एक समतामूलक, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष समाज की ओर बढ़ना चाहिए था मगर नतीजा उसके उलट है, बैठक में सच्चर कमिटी कि सिफारिशों को शीघ्र ही लागू नहीं करने पर आगामी 23 नवंबर को प्रखंड मुख्यालय में धरना देने, इसकी तैयारी के लिए 08 नवंबर को बैठक करने का निर्णय लिया गया है, इस अवसर पर उप प्रमुख फिरोज अहमद, अयुब खान, असगर खान, शमसेर खान, बाबर खान, बेलाल अहमद, मो0 मुर्तजा, हातीम अंसारी, अब्दुल रब, मो0 मुजीबुल्लाह अंसारी, अफरोज आलम, दाउद अंसारी, विकी खान, अतिकुर्रहमान, मो0 जमशेद आलम, राजु अंसारी, मुस्ताक अहमद, रमजान सांई चिस्ती समेत कई मुस्लिम बुद्धिजीवी शामिल थे।