21 नवंबर 2025 को भारत सरकार ने चार नए श्रम संहिताओं को लागू कर दिया — एक ऐसा कदम जिसने देश के लाखों मजदूरों की जिंदगी बदल दी। भारत सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को एकीकृत करते हुए एक ऐसा ढांचा तैयार किया है जो न केवल आधुनिक है, बल्कि समानता और सुरक्षा पर आधारित है। अब एक कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने के लिए पाँच साल की जगह केवल एक साल की सेवा काफी होगी। ओवरटाइम का भुगतान दोगुना हो गया है। और अब ओला-ज़ोमैटो के ड्राइवर्स, फूडडिलीवरी वर्कर्स और फ्रीलांसर्स भी पीएफ, ग्रेच्युटी और ईएसआईसी के दायरे में आ गए हैं। ये सिर्फ कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है।
ग्रेच्युटी का इतिहास बदल गया
पहले एक कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने के लिए कम से कम पाँच साल एक ही कंपनी में काम करना जरूरी था। अगर वह तीन साल बाद नौकरी बदल गया, तो उसकी सारी मेहनत का एक भी रुपया उसे नहीं मिलता था। अब वो दिन खत्म हो गए। नए श्रम संहिता के तहत, चाहे आप फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी हों, ठेकेदार के तहत काम कर रहे हों, या ऐप पर काम कर रहे हों — एक साल की सेवा के बाद आप ग्रेच्युटी के पात्र हैं। यह बदलाव खासकर युवाओं के लिए बड़ी खबर है, जो अक्सर दो-तीन साल में नौकरी बदल देते हैं।
ओवरटाइम अब दोगुना, बेसिक वेतन 50% जरूरी
अब कंपनियाँ दैनिक 8 घंटे से लेकर 12 घंटे तक शिफ्ट लगा सकती हैं, लेकिन साप्ताहिक कुल समय 48 घंटे से ज्यादा नहीं हो सकता। जो भी अतिरिक्त घंटे काम करेगा, उसका भुगतान सामान्य वेतन की दोगुनी दर पर होगा। पहले यह एक और आधा गुना था। यह बदलाव कर्मचारियों के लिए एक न्याय का दावा है। अब अतिरिक्त काम की कीमत सच्चाई से दी जाएगी।
इसके साथ ही, नए श्रम संहिता ने बेसिक वेतन के लिए एक नया नियम लाया है: कुल वेतन (CTC) का कम से कम 50% बेसिक वेतन होना अनिवार्य है। इसका मतलब है कि अब कंपनियाँ बेसिक वेतन कम रखकर हाइ-प्रीमियम अलाउंसेस देकर जाल बिछाने की कोशिश नहीं कर सकेंगी। जैसे — राहुल की CTC 60,000 रुपये थी, जिसमें से 30,000 रुपये बेसिक थे। अब उसकी बेसिक सैलरी 30,000 रुपये के बजाय 30,000 रुपये होगी — यानी 50%। इससे पीएफ और ग्रेच्युटी दोनों बढ़ जाएंगे।
गिग वर्कर्स के लिए इतिहास बन रहा है
2025 तक भारत में 12 मिलियन गिग वर्कर्स काम कर रहे हैं। और 2030 तक यह संख्या 23.5 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। लेकिन इनमें से अधिकांश कभी पीएफ, ग्रेच्युटी या बीमा के दायरे में नहीं आए थे। अब वो सब भी नए श्रम संहिता के तहत आ गए हैं। यह बड़ी बात है। अब एक ड्राइवर जो 10 महीने तक ओला पर काम करता है, उसे ग्रेच्युटी मिलेगी। एक फूड डिलीवरी वर्कर को ईएसआईसी का लाभ मिलेगा। ये बदलाव सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि सम्मान का संकेत है।
महिलाओं को नाइट शिफ्ट में अधिकार, समान वेतन अब कानून
पहले महिलाओं को रात को काम करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी — अब वो अधिकार है। नए कोड के तहत महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने का अधिकार मिल गया है, बशर्ते सुरक्षा व्यवस्था हो। और सबसे बड़ी बात — समान काम के लिए समान वेतन। अब कोई कंपनी एक ही जॉब पर महिला को कम वेतन नहीं दे सकती। यह कानूनी बाध्यता है। ये बदलाव सिर्फ नियम नहीं, बल्कि समाज के विचारों को बदलने का इशारा है।
सामाजिक सुरक्षा का विस्तार: 19% से 64% तक
2015 में भारत में केवल 19% कामगार सामाजिक सुरक्षा के दायरे में थे। अब यह आँकड़ा 64% हो गया है। यानी लगभग चार में से दो मजदूर अब पीएफ, ग्रेच्युटी, ईएसआईसी और अन्य लाभों से जुड़ गए हैं। भारत सरकार का दावा है कि इन नए कोड्स के तहत 40 करोड़ श्रमिकों को सुरक्षा की गारंटी दी गई है। यह दुनिया का सबसे बड़ा श्रमिक सुरक्षा कार्यक्रम है।
ठेकेदारों के लिए सरलीकरण, छोटी कंपनियों को छंटनी का अधिकार
पहले एक ठेकेदार को हर राज्य में अलग-अलग लाइसेंस लेने पड़ते थे। अब एक ही लाइसेंस, पाँच साल के लिए। ये बदलाव छोटे उद्यमियों के लिए बड़ी राहत है। और एक और बड़ी बात: 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियाँ अब सरकारी अनुमति के बिना छंटनी कर सकती हैं। यह नियम छोटे उद्यमों को लचीलापन देता है, लेकिन इसका इस्तेमाल दुरुपयोग न हो, यह चुनौती है।
क्या होगा अब?
ये नियम 21 नवंबर 2025 से लागू हैं, लेकिन अभी भी कई बारीकियाँ स्पष्ट नहीं हैं। जैसे — फ्रीलांसर्स के लिए ग्रेच्युटी की गणना कैसे होगी? ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कैसे योगदान देंगे? अभी तक कंपनियों को इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइन नहीं मिली हैं। श्रम मंत्रालय का कहना है कि अगले तीन महीनों में एक डिजिटल पोर्टल लॉन्च होगा, जहाँ कर्मचारी अपने लाभों की जानकारी देख सकेंगे। यह एक बड़ा कदम है — लेकिन अगर इसकी असली शक्ति बनाने में देर हो गई, तो ये कानून सिर्फ कागज पर रह जाएगा।
क्यों ये बदलाव जरूरी था?
भारत का श्रम बाजार दुनिया का सबसे बड़ा है। लेकिन यहाँ के नियम 1940 के दशक के थे। गिग इकोनॉमी तब नहीं थी। डिजिटल वर्कफ्लो नहीं था। महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट एक विवाद थी। अब ये सब बदल गया है। ये कोड सिर्फ नए नियम नहीं, बल्कि एक नए भारत की नींव है — जहाँ काम करने वाला व्यक्ति, चाहे वह ऑफिस में हो या दोपहर के 2 बजे रिक्शा चला रहा हो, उसे सम्मान और सुरक्षा मिले। ये बदलाव ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए नहीं, बल्कि ‘आत्मसम्मानित भारत’ के लिए है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या ग्रेच्युटी अब सभी तरह के कर्मचारियों के लिए लागू होगी?
हाँ, अब ग्रेच्युटी का अधिकार सभी तरह के कर्मचारियों को मिलेगा — चाहे वे स्थायी, फिक्स्ड-टर्म, ठेकेदार या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर हों। बस एक साल की सेवा पूरी करनी होगी। यह पहले के नियमों के मुकाबले बड़ी क्रांति है, जहाँ ठेकेदार या फ्रीलांसर्स को यह लाभ नहीं मिलता था।
ओवरटाइम का भुगतान अब कैसे होगा?
अब ओवरटाइम का भुगतान सामान्य वेतन की दोगुनी दर पर होगा। जैसे अगर आपका घंटेवार वेतन 200 रुपये है, तो अतिरिक्त हर घंटे के लिए 400 रुपये मिलेंगे। पहले यह एक और आधा गुना (300 रुपये) था। इससे कर्मचारियों को अतिरिक्त काम करने के लिए न्यायसंगत भुगतान मिलेगा।
बेसिक वेतन 50% क्यों जरूरी है?
कई कंपनियाँ बेसिक वेतन कम रखकर अलाउंसेस में ज्यादा पैसा देती थीं, जिससे पीएफ और ग्रेच्युटी कम हो जाती थीं। अब बेसिक वेतन कम से कम CTC का 50% होना अनिवार्य है। इससे कर्मचारियों के भविष्य की बचत बढ़ेगी और उनके लिए बैंक लोन या बीमा आसान हो जाएगा।
महिलाएँ अब रात में काम कर सकती हैं?
हाँ, अब महिलाएँ नाइट शिफ्ट में काम करने का कानूनी अधिकार रखती हैं। बस उनकी सुरक्षा के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए — जैसे ट्रांसपोर्ट, लाइटिंग और सुरक्षा कर्मचारी। यह एक बड़ा सामाजिक बदलाव है, जो महिलाओं के लिए नौकरी के अवसर बढ़ाएगा।
क्या छोटी कंपनियाँ अब आसानी से कर्मचारियों को निकाल सकती हैं?
हाँ, 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियाँ अब सरकारी अनुमति के बिना छंटनी कर सकती हैं। लेकिन यह अधिकार दुरुपयोग के लिए नहीं है। कंपनियों को अभी भी नियमित प्रक्रिया अपनानी होगी और वेतन और ग्रेच्युटी का भुगतान अनिवार्य है।
क्या गिग वर्कर्स को अभी से ग्रेच्युटी मिल रही है?
हाँ, लेकिन अभी तक केवल उन्हीं तक जो नियमित रूप से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम कर रहे हैं। प्लेटफॉर्म कंपनियों को अब अपने वर्कर्स के लिए ग्रेच्युटी का योगदान देना होगा। यह अभी लागू हुआ है, लेकिन लागू होने की प्रक्रिया अभी चल रही है।
