बुढ़मू से संजय साहू की रिपोर्ट
बुढ़मू – राजपरिवार की कुल देवी अष्टधातु से बनी भवानीशंकर की मूर्ति की बेलवरण पूजा के साथ ही ठाकुरगांव में दुर्गोत्सव शुरू हुआ। शनिवार को महा अष्टमी की पूजा एवं दिन में 11बजकर 27 मिनट पर संधी बली के दौरान राज परिवार की ओर से काड़ा और बकरा की बलि दी जाएगी। कोरोना काल को देखते हुए भक्तों के लिए बकरे के बलि नहीं होगी। भवानीशंकर मंदिर की स्थापना के संबंध में लाल जयकुमार नाथ शाहदेव बताते है कि छोटानागपुर के 50वें महाराज ठाकुर कमल नाथ शाहदेव 48 गांव की जमींदारी लेकर सिसई से गिंजो आये थे और कुल देवी की अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की थी। उसी समय गिंजो का नाम बदल कर गिंजो ठाकुरगांव रखा गया। 1543 ई0 में महात्मा चेतनाथ के द्वारा ठाकुर कमल नाथ शाहदेव को यह मूर्ति प्रदान की गई थी। कुछ समय के बाद इस मूर्ति की चोरी हो गई थी। जो जमीन खुदाई के दौरान रातु में मिली थी। न्यायिक प्रक्रिया के तहत पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस मूर्ति को पुनः मंदिर में स्थापित किया गया था। राजपरिवार की कुल देवी होने के कारण मूर्ति का दर्शन सिर्फ राजपरिवार के सदस्य ही करते है।