रिपोर्ट मोहसिन आलम
ओरमांझी — प्रखंड मुख्यालय स्थित सभागार में शनिवार को झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार रांची के तत्वधान में एक समारोह आयोजित कर समाज के कमजोर वर्गो एवं आर्थिक रूप से असहाय व्यक्तियों को उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जानकारी व सलाह दिया गया । वहीं सरकार की कई योजनाओं से लोगों को लाभान्वित किया गया जन वितरण प्रणाली द्वारा लोगों को ग्रीन कार्ड वृद्धा विधवा को कंबल महिला समिति को ऋण व बैंकों द्वारा कई लोगों को केसीसी लॉनअन्य लॉन दिया गया वहां कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में झालसा के जुडिशल कमिश्नर दीपक मलिक प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमार अभिनव स्वरूप अंचल अधिकारी शिव शंकर पांडे ,ओरमांझी थाना प्रभारी इंस्पेक्टर श्याम किशोर महतो सहित प्रखंड व अंचल के अनेकों कर्मचारी उपस्थित थे ।कार्यक्रम से पूर्व अतिथियों को स्वागत झारखंडी रीति रिवाज से किया गया। कार्यक्रम में लोगों को कानूनी सलाह निशुल्क दिया गया। वहीं सरकार द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं की भी जानकारी ग्रामीणों को दी गई।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार एंव जिला प्रशासन रांची के सौजन्य से निःशुल्क विधिक सेवा / सलाह, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराई गयी। इसके साथ ही शीघ्र न्याय उपलब्ध कराये जाने के उद्वेश्य से लोक अदालतों का भी आयोजन कराकर प्रकरणों का आपसी समझौते के माध्यम से शीघ्र निराकरण कराया जाना है । कार्यक्रम में पहुंचे मुख्य अतिथि दीपक मलिक ने बताया कि समाज के ऐसे लोग जिनका आर्थिक और सामाजिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण न्याय नहीं मिल पाता है ऐसे लोगों के लिए सरकार विशेष कैंप आयोजित कर उन्हें हर दृष्टि से सहयोग करती है और उन्हें मौलिक अधिकार दिलाने में मदद करती है क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 ए में सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया गया है और गरीबों तथा समाज के कमजोर वर्गों के लिए निःशुल्क कानून सहायता की व्यवस्था की गई है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 22 (1) के तहत राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वह सबके लिए समान अवसर सुनिश्चित करे। समानता के आधार पर समाज के कमजोर वर्गों को सक्षम विधि सेवाएं प्रदान करने के लिए एक तंत्र की स्थापना करने के लिए वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पास किया गया। इसी के तहत झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ( झालसा) का गठन किया गया। इसका काम कानूनी सहयता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्यांकन एवं निगरानी करना है। साथ ही, इस अधिनियम के अंतर्गत कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराना भी इसका काम है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अंतर्गत समाज के कमजोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए और विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन करने के लिए की गई है।
प्रत्येक राज्य में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की नीतियों और नालसा के निर्देशों को प्रभावी करने के लिए और लोगों को मुफ्त कानूनी सेवाएं देने और राज्यों में लोक अदालतों का संचालन करने के लिए विधिक की गठित की गई है। राज्य के उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता की जाती है जो इसके मुख्य संरक्षक है।