RANCHI: सीएए और एनआरसी के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच रांची में भी महिलाओं ने मोरचा खोल दिया है. कडरू में पिछले तीन दिनों से महिलाओं का धरना प्रदर्शन जारी है. महिलाएं सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही हैं. इस धरना प्रदर्शन में राज्यभर की हजारों महिलाएं एक साथ प्रदर्शन कर रही हैं और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गयी हैं. प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि केंद्र सरकार मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सीएए जैसा कानून लेकर आयी है.
ठंड के बावजूद महिलाएं दिन रात हज हाउस के सामने धरने पर बैठी हैं. उनकी एक ही मांग है कि सीएए जैसा काला कानून हर हाल में रद्द किया जाना चाहिए.
महिलाओं का कहना है कि जबतक उनकी मांगें नहीं मानी जायेंगी, धरना जारी रहेगा. यह काला कानून देश हित में नहीं है. इस प्रदर्शन में मुस्लिम महिलाओं के साथ-साथ दलित महिलाएं भी शामिल हैं. प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने प्रदर्शन में शामिल महिलाओं से बात करने का प्रयास किया.
लेखिका गजाला तस्लीम ने कहा कि केंद्र सरकार मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सीएए जैसा कानून लेकर आयी है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों में केवल गैर मुस्लिम ही प्रताडि़त नहीं होते हैं. उन देशों में मुस्लिम भी प्रताडि़त होते हैं. ऐसे में उन्हें कौन शरण देगा. इस कानून में सभी धर्म के लोगों को शरण देते हुए नागरिकता देने की बात कही गयी है, जबकि मुसलमानों को नागरिकता नहीं दी जायेगी. ऐसे में वे कहां जायेंगे. गजाला का कहना है कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर का ही एक हिस्सा है. एनआरसी में हमें अपनी नागरिकता का प्रमाण देना होगा, ऐसे में कई लोग ऐसे हैं जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है. तो क्या उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जायेग. हम भी भारतीय हैं, यही जन्में और पले बढ़े हैं. हमें अपने ही देश में अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी. यह गलत है.
शाहीन परवीन का कहना है कि हमसभी ने अपने वोट से नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाया. उन्होंने ऐसा काला कानून लाया कि लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि अपने ही देश में हमें एक कानून के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करना पड़ेगा. मैंने कई मंचों पर इस बात की जिक्र की है, लेकिन इस प्रकार के आंदोलन की उम्मीद नहीं की थी. ये परिस्थिति सरकार द्वारा पैदा की गयी है. सरकार से आग्रह है कि इन कानून को लागू नहीं किया जाए.
सोनी परवीन का कहना है कि केंद्र सरकार को बेरोजगारी और आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सीएए जैसा कानून लाकर भारत के लोगों को आपस में लड़वाने का काम नहीं करना चाहिए. सीएए के कारण देश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो रही है. ऐसे में केंद्र सरकार का दायित्व बनता है वह इस कानून को समाप्त कर लोगों को अमन चैन से रहने दे. आज भारत की जीडीपी में जिस अनुपात में गिरावट आ रही है, सरकार को उसपर गंभीरता से सोचना चाहिए. यह देश जितना गैर मुसलमानों का है, उतना ही मुसलमानों का भी है. ये तुष्टीकरण की राजनीति नहीं चलेगी.
रानी परवीन ने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर का ही एक हिस्सा है. केवल सीएए से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन केंद्र के कई मंत्रियों के बयान से स्पष्ट होता है कि सरकार सीएए के बाद एनआरसी लागू करेगी, फिर ये दोनों कानून मुसलमानों के हित में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश का आबादी वैसे ही बहुत अधिक है, ऐसे में दूसरे देश के लोगों को यहां लाने का क्या आवश्यकता है. हमारे देश के पढ़े लिखे नौजवान बेरोजगार घूम रहे हैं. कोई इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर 12 हजार की नौकरी कर रहा है. क्या यही हमारे देश के इंजीनियर्स का होना चाहिए.
एहतशाम निकत ने कहा कि मैं एक छात्रा हूं और देश में बेटियों और महिलाओं के साथ जो अन्याय हो रहा है उससे काफी दुखी हूं. मोदी जी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हैं और देश में लड़कियों के साथ हो रहे अन्याय पर मौन हैं. देश का मूल मुद्दा बेटियों को सुरक्षा देना होना चाहिए, ना कि सीएए जैसा काला कानून. ये विभाजनकारी है और देश को बांटने वाला कानून है.
धरना प्रदर्शन का आज चौथा दिन था. राज्य के विभिन्न जिलों से आयी महिलाओं ने सभा को संबोधित किया और एक स्वर में सीएए और एनआरसी का विरोध किया. कामकाजी महिलाएं दिनभर के काम के बाद शाम के वक्त इस धरने में शामिल हो रही हैं. सभी का कहना है कि जबतक सरकार इस कानून को वापस नहीं लेगी, यह धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. सरकार के एक फैसले के कारण आज हजारों महिलाएं सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए बाध्य हैं. शाम के छह बजे सभी ने सामूहिक रूप से मोबाइल का टॉर्च जलाकर विरोध प्रदर्शन किया.