RANCHI: 2018 जनवरी की कड़ाके की ठंड में कंबल घोटाले की शिकायत लेकर लातेहार जिला के पोखरीतला से कुछ लोग 13 जनवरी को सीएस के कार्यालय पहुंचे. यहीं से 18 करोड़ रुपये के कंबल घोटाले की परत-दर-परत सच सामने आने लगी. शिकायत करने वाले सलाउद्दीन अंसारी, इमामुद्दीन हक, नईमुद्दीन अंसारी और मो. मुस्ताक का कहना था कि लातेहार जिले के पोखरीतला के जिस बुनकर को कंबल बनाने का काम दिया गया है और जिस पैमाने पर दिया गया है, उस काम को करने के लिए उसके पास लुम (करघा) है ही नहीं.
सिर्फ कागजों पर दिखा दिया गया है कि बुनकर ने हजारों कंबल बनाए. सीएस कार्यालय से शिकायत की कॉपी विकास आयुक्त कार्यालय भेज दी गयी. उस वक्त झारखंड के विकास आयुक्त अमित खरे थे. उन्होंने शिकायत को काफी गंभीरता से लिया और उद्योग विभाग को फौरन जांच करने का निर्देश दिया.
एक फरवरी को एमडी उद्योग ने जांच प्रक्रिया शुरू की. जांच के बाद पांच फरवरी को एमडी उद्योग ने जांच रिपोर्ट सौंपी. जांच में शिकायत सच पायी गयी. जिस बुनकर को कंबल बनाने का काम झारक्राफ्ट की तरफ से दिया गया था, उसके पास कंबल बनाने लायक लुम (करघा) ही नहीं था. जांच रिपोर्ट आने के बाद विकास आयुक्त ने बुनकर को दिए जाने वाले किसी भी भुगतान पर रोक लगा दी.
विस्तृत जांच के लिए लिखा उद्योग सचिव को चिट्ठी
विकास आयुक्त अमित खरे ने 14 फरवरी को उद्योग विभाग के एमडी और सचिव सुनील बर्णवाल (जो सीएम के प्रधान सचिव भी थे) को पूरे मामले को लेकर फाइनल प्रपोजल बनाने को लिखा. लिखा कि जब जांच में शिकायत सही पायी गयी है, तो कंबल बनाने से लेकर बांटने तक की जांच सही तरीके से की जाए.
लेकिन विकास आयुक्त की इस चिट्ठी का सुनील बर्णवाल पर कोई असर नहीं हुआ. उन्होंने ना ही चिट्ठी का जवाब दिया और ना ही विकास आयुक्त के निर्देशों को माना. दोबारा फिर से 28 फरवरी को विकास आयुक्त ने पूरे मामले की विस्तृत जांच कराने और दोषी कर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए तत्कालीन उद्योग सचिव और पूर्व सीएम के प्रधान सचिव सुनील वर्णवाल को पत्र लिखा.