राँची झारखंड: CAA, NPR/NRC के खिलाफ 50 हजार लोग उतरे सड़क पर शांतिपूर्ण महाधरना के बाद राजभवन से Chief_justice_of_India के नाम जारी हुआ निवेदन पत्र
माननीयमुख्यन्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय भारत
उपरोक्त विषय के संर्दभ में निवेदन पूर्वक कहना है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के देख रेख में असम राज्य में एनआरसी की सूची प्रकाशित हुई जिसमें लगभग 19 लोग इससे बाहर हुए है। जिनमें 05 लाख मुस्लिम और 14 लाख गैर मुस्लिम है, जिन्हें ट्रिब्यूनल व न्यायालय में नागरिकता साबित करने का अवसर दिया गया है। साबित नही करने की स्थिति में इन्हें असम एकाॅड 1985 के तहत बंगला देश भेजा जाएगा या डीटेनशन सेंटर में रखा जाना है
परन्तु केन्द्र सरकार की मंशा कुछ और है वो वोट बैंक की राजनीतिक लाभ लेना चाहतीं है और 14 लाख धर्म विशेष के लोगों को नागरिकता देने के लिए, नागरिकता कानून 1952 में संशोधन कर संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन करते हुए नागरिकता संसोधन कानून 2019 बनाया है।
जो बिलकुल असंवैधानिक है। इस कानून से घुसपैठ किये एवं प्रवासी लोगों को नागरिकता देने से देश की जनसंख्या में जहा वृद्धि होगी वही संस्कृति, इतिहास,भाषा, खानपान,पहचान के साथ भूमि और रोजगार में भी खतरा पैदा हो जाएगी।
केन्द्र सरकार की गृह मंत्री ने पुरे देश में एनआरसी लागू करने की घोषणा किया है इसके पूर्व एनपीआर लागू किया जा चुका है जो एनआरसी का एक पार्ट है, इसके तहत भारत के सभी नागरिकों को अपनी नागरिकता साबित करने हेतु जन्म प्रमाण पत्र, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, भूमि कागजात व अन्य कागजात देने होंगे। अगर भूमिहीन, अशिक्षित, आदिवासी दलित और महिलाएं अगर कागजात नही दे पायें तो भारतीय होने के बावजूद इन्हें घुसपैठिया साबित कर दिया जाएगा।
फिर इनका मानसिक और शारीरिक प्रताड़णा करने के बाद।
इस्लाम धर्मावलम्बियों को छोड़कर बाकि 06 धर्मावलंबी लोगों को नागरिकता संसोधन कानून 2019(सीएए) के तहत नागरिकता देकर अपना वोट बैंक बना लिया जाएगा।
जो कही से भी न्यायोचित नही है और भारतीय संविधान का उल्लंघन होगा।
अतः नागरिकता संसोधन कानून 2019( सीएए ) को रद्द करते हुए एनपीआर/एनआरसी पर रोक लगाने की कृपा करें।