राँची—रिम्स में निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ पहली बार विजिलेंस की छापेमारी से हड़कंप, अस्पताल छोड़कर भागने की तैयारी में चिकित्सक
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सरकारी शिकंजे से हड़कंप मच गया है। यहां आने वाले गरीब मरीजों को महंगे क्लिनिक में इलाज कराने और अपने निजी क्लिनिक भेजने वाले ऐसे दर्जनभर डॉक्टरों के खिलाफ पहली बार विजिलेंस की छापेमारी के बाद रिम्स में डॉक्टर्स के बीच हड़कंप मच गया है। पूर्व की सरकारों ने इस मामले को ठंडे बास्ते में रखा और निजी प्रैक्टिस होने दी, जिससे चिकित्सक तो मालामाल होते गए मगर मरीज और उनके परिजनों को मोटी फीस देकर इलाज करने पर मजबूर होना पड़ता था। इससे पहले बीजेपी की रघुवर सरकार ने डॉक्टरों की निजी क्लिनिक पर शिकंजा कसने के बजाय उन्हें निजी प्रैक्टिस करने की इजाजत दे दी थी। मगर वर्तमान सरकार के एक्शन के बाद से डॉक्टर्स इतने डरे हुए है, की गरीबो को अपने क्लीनिक भेजने वाले लालची डॉक्टर्स अब रिम्स छोड़ने की तैयारी करने लगे है। कल रिम्स में विजिलेंस की छापेमारी के बाद चिकित्सको का प्रतिनिधिमंडल आज रिम्स डायरेक्टर से मिलने जा रहा है। खबर है की डॉक्टर्स वीआरएस लेना चाहते है। मगर विजिलेंस के पास दर्जनभर ऐसे डॉक्टर्स का कच्चा चिटठा मौजूद है। ऐसे डॉक्टर्स अब सरकारी कार्रवाई से बच नहीं सकते।
ऑडियो वीडियो से सच सामने आया, हुई पड़ताल तो चौंक गयी टीम :
विजिलेंस ने निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी को सौंप दी। इसमें कई चिकित्सकों को नियम के विरुद्ध प्राइवेट प्रैक्टिस करने का आरोपी पाया गया है। कमेटी ने इनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की है। टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है की प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े गए अधिसंख्य चिकित्सक नन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) भी लेते हैं। कमेटी ने इसे वित्तीय अनियमितता व गबन का मामला बताया है। कुछ चिकित्सक ऐसे भी हैं, जो ड्यूटी के समय भी प्रैक्टिस करते पकड़े गए।
जांच कमेटी ने बकायदा जांच के दौरान डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने का ऑडियो और वीडियो क्लिप भी तैयार किया है। ये क्लिप भी जांच रिपोर्ट के साथ विभागीय सचिव को सौंपे गए हैं। इस तरह इनके प्रैक्टिस करने की पुख्ता सुबूत विभाग के पास है। बताया जाता है कि जिन चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस की बातें सामने आ रही हैं, उनमें डॉ. जेके मित्रा, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. प्रकाश कुमार, डॉ. वीके प्रजापति, डॉ. एसएस प्रसाद, डॉ. राहुल प्रसाद, डॉ. प्रशांत, डॉ. संजय कुमार सिंह आदि शामिल हैं। टीम ने चिकित्सकों के क्लिनिक में इलाज कराने पहुंचे मरीजों से भी बातचीत की है। इसमें मरीज स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वे अमुक चिकित्सक के यहां दिखाने पहुंचे हैं। इसका भी ऑडियो व वीडियो क्लिप विभाग को सौंपा गया है। कुछ चिकित्सक किस निजी अस्पताल से अटैच हैं, इसकी भी जानकारी दी गई है।
लैब और दवा दुकानों से भी साठगांठ :
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इन चिकित्सकों के कई निजी लैब और दवा दुकानों से भी साठगांठ होने का उल्लेख किया है। इनसे भी बड़ा कमीशन चिकित्सकों को मिलता है।
वेतन का 25 फीसद मिलता है एनपीए :
रिम्स के चिकित्सकों को प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करने के बदले एनपीए के रूप में कुल वेतन की 25 फीसद राशि अलग से मिलती है। लेकिन, अधिसंख्य चिकित्सक एनपीए भी लेते हैं और प्रैक्टिस भी करते हैं।