मुजफ्फर हुसैन संवाददाता, रांची
दहेज मुक्त झारखण्ड बनाने में सबकी सहयोग की आवश्यकता है।
रांची:-दहेज मुक्त झारखंड की प्रदेश महासचिव श्रीमती सिंधु मिश्रा ने दहेज मुक्त झारखण्ड बनाने में सब का सहयोग करने की मांग की है। दहेज प्रथा को लेकर जो समस्याएँ खड़ी है वो दहेज लोभी समझे जाने चाहिए। बहुत सारे दुष्परिणाम जो मैंने करीब से देखा हूँ शेयर कर रही हूँ।
पहली बात, दहेज की मांग की मोटी रकम की चाह में माँ बाप बेटे को बुढ़ापे की ओर धकेल रहे हैं।
दूसरी बात, फलस्वरूप बेटा अंतर्राष्ट्रीय विवाह कर ले रहा, शराब पीने की आदत लग रही है या फिर आत्महत्या कर ले रहा है।
तीसरी बात, जिस बेटी के पिता ने बेटे के माँ बाप को उनकी मुंह मांगी रकम दे दी और बेटी के लिए एक वर खरीद लिया फिर भी उनकी चिंता समाप्त नहीं हुईं।
चौथी बात, लड़की के मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उसने पिता की पीड़ा को देखा है।
पाँचवी बात, वैसे घर में किसी माँ बाप की बेटी सुखी नहीं जिनके ससुराल वाले बहु के मायेके की धन दौलत पर नज़र गड़ाए हुए हैं।
छठी बात, परिणाम दहेज प्रताड़ना, ताने उलाहने, रुपए की सामानों की मांग और जब इनकी बात ना सुनी जाए, बिना कोई बात कहे सुने घर से बाहर कर देना।
सातवीं एवं बेहद गंभीर बात, बहु को जला कर या उसे ज़हर खिलाकर उसे असमय जान से मार देना।
दोस्तों, कहां जा रहा है हमारा समाज? क्यों हो रही है हत्याएं बहु बेटियों की? हमने क्यों अपनी आँखों पर पट्टी बांध ली है? क्यों हमारे मुँह और कान दोनों बंद हैं? क्यों इस अभिशाप को हमने अपने जीवन में शामिल कर रखा है? क्या हम इसके ख़िलाफ़ आवाज उठाने में अपने को कमज़ोर महसूस कर रहे हैं या डर रहे हैं अपने आप से अपने सभ्य समाज से? ये सारे प्रश्न आत्ममंथन के लिए हैं, सभ्य समाज के सभी सभ्य लोगों से ये बात पूछनी है क्या सचमुच इस कुरीति के साथ मिलकर सभ्य समाज में रहने के योग्य हैं हम, आप, सभी दहेज मुक्त झारखंड बनाने के लिए आप सब की शुभकामनाएं और सहभागिता बेहद आवश्यक है, कृपया समस्या नहीं समाधान बनें। एक दिन सुंदर समाज,गौरवशाली राष्ट्र सभी कुरीतियों से दूर हो कर हमारे बीच होगा।