रांची: कडरू रांची शाहीनबाग का धरना प्रदर्शन 32 वें दिन भी जारी रहा। आज 20 फरवरी 2020 को ग्रामीण इलाकों से महिलाओं का हुजूम उमड़ पड़ा। जिनमें नर्कोपी, कांके, उरगुड्डू, पंडरी, कुकदोरो, नगरी, इटकी, कुड, बरामबे,सिसई, मुड़मा, मांडर, लोहरदगा आदि स्थानों से महिलाओं ने कडरू शाहीनबाग धरना प्रदर्शन में शामिल हुई, ग्रामीण महिलाओं ने आंदोलन में शामिल होकर सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ हल्ला बोला। आज के आंदोलन का प्रमुख बिंदु 1 अप्रैल से होने वाले एनपीआर के खिलाफ चर्चा का विषय रहा। महिलाओं ने कहा कि हेमंत सरकार अभी तक यह क्लियर नहीं किया किया है कि 1 अप्रैल से एनपीआर झारखंड में होगा या नहीं। महिलाओं ने कहा कि हेमंत सरकार से आग्रह करते हैं कि हेमंत सरकार अविलंब झारखंड में एनपीआर नहीं कराने का अधिसूचना जारी करें। और झारखंड में लगभग तीन करोड़ आबादी को आश्वस्त करें कि झारखंड में एनपीआर नहीं होगा। क्योंकि एनपीआर, एनआरसी का पहला कदम है। दूसरी तरफ लोहरदगा से आई महिला दिवेश क्रिकेटर ने कहा कि हम आदिवासी समाज आपसे ज्यादा भयभीत और चिंतित हैं। जरूरत पड़ी तो आदिवासी का एक महिला दल जल्द ही हेमंत सोरेन से मिलेगा और राज्य में काले कानून के खिलाफ विरोध दर्ज कराएगा। महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया। सुप्रीम कोर्ट के जरिया नियुक्त प्रतिनिधि का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि शाहीन बाग के महिलाओं से सुप्रीम कोर्ट के प्रतिनिधि से शाहीनबाग की महिलाओं ने बात की यह सराहनीय हैं। हमारा मकसद किसी को तकलीफ देना नहीं है। हम आने वाले नस्लों की हिफाजत करना है। वही सबीना खातून ने कहा कि शाहीन बाग के आंदोलन से भले ही किसी को 2 घंटे ज्यादा वक्त लगता हो लेकिन हमें इस आंदोलन से किसी को परेशान नहीं करना है। सबीना खातून ने कही के शाहीनबाग ने दबी कुचली महिलाओं को एक ताकत दिया है।
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