मुंबई,शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार इसलिए हुई क्योंकि वह जनता को बहुत हल्के में ले रही है।
शिवसेना ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लगा कि नागरिकता (संशोधन) कानून से हिंदू मतदाता प्रतिशत बढ़ेगा लेकिन झारखंड में श्रमिकों और आदिवासियों ने भाजपा को नकार दिया।
झारखंड में झामुमो के नेतृत्व वाला तीन दलीय गठबंधन सोमवार को सत्ता में आया।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि झारखंड में भाजपा ऐसे समय में हारी है जब उसे महाराष्ट्र में भी ‘‘हार’’ का मुंह देखना पड़ा।
उसने कहा, ‘‘हरियाणा में भी कांग्रेस ने जोरदार वापसी की लेकिन भाजपा दुष्यंत चौटाला (जननायक जनता पार्टी के नेता) के साथ सत्ता में आ गई जिसके खिलाफ उसने चुनाव लड़ा था।’’
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि एक बार जब लोग सरकार बदलने का फैसला कर लेते हैं तो वे ‘‘सत्ता और धन के दबाव’’ में नहीं फंसते।
मराठी अखबार में कहा गया, ‘‘भाजपा की मानसिकता नतीजों का आत्मावलोकन करने की नहीं है। जब आप लोगों को हल्के में लेते हो तो और क्या हो सकता है।’’
इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की आलोचना करते हुए आरोप लगाया गया है कि उन्होंने चुनाव प्रचार अभियान के सभी भाषणों में ‘‘हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिशें की।’’
संपादकीय में कहा गया है, ‘‘नागरिकता (संशोधन) कानून से उन्हें लगा कि हिंदू मत प्रतिशत बढ़ेगा। लेकिन झारखंड के श्रमिक और आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया।’’
शिवसेना ने दावा किया कि 2018 में भाजपा का देश के 75 प्रतिशत राज्यों में शासन था जबकि अब यह महज 30 से 35 प्रतिशत तक रह गया है।
उसने कहा कि 2018 में 22 राज्यों में भाजपा की सरकार थी और यहां तक कि वह त्रिपुरा और मिजोरम में भी सत्ता में आयी।
शिवसेना ने कहा, ‘‘लेकिन आज त्रिपुरा में हालात ऐसे हैं कि अगर चुनाव हो जाए तो भाजपा को वहां नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ भड़की हिंसा को लेकर हार का सामना करना पड़ेगा।’’