उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के सम्मान में छुट्टी की तारीख बदल दी है। पहले 24 नवंबर 2025 को घोषित छुट्टी को गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान के वास्तविक दिन के साथ मिलाने के लिए 25 नवंबर 2025 (मंगलवार) कर दिया गया है। यह बदलाव उत्तर प्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष चौहान द्वारा अधिकारिक अवकाश कैलेंडर में किया गया। यह कदम सिर्फ एक कैलेंडर बदलाव नहीं — यह एक भावनात्मक और ऐतिहासिक समझ का प्रतीक है।
क्यों बदली तारीख? एक ऐतिहासिक सच्चाई
गुरु तेग बहादुर जी का शहीद होने का दिन 11 नवंबर 1675 को था — जब मुगल सम्राट औरंगजेब ने उन्हें दिल्ली के चार चार बाजार में सिर काट दिया। लेकिन आधुनिक तारीखों के अनुसार, इस दिन को हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को मनाया जाता है। यही कारण है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 23 नवंबर 2025 को घोषणा की थी कि 25 नवंबर को एक राष्ट्रीय स्तर पर शहीदी दिवस मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश ने इसी दिशा में कदम रखा।यह बदलाव किसी अधिकारी की भूल नहीं, बल्कि एक जागरूकता का परिणाम है। कई स्कूलों और गुरुद्वारों में लंबे समय से यह आपत्ति थी कि 24 नवंबर को छुट्टी घोषित करने से शहीदी के वास्तविक दिन का सम्मान नहीं हो पा रहा। अब बच्चे, शिक्षक और अभिभावक एक दिन बाद की छुट्टी पर आराम करेंगे — और उस दिन की वास्तविकता को समझेंगे।
कौन-कौन छुट्टी पर होगा?
25 नवंबर 2025 को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और हरियाणा के सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। यह एक अप्रत्याशित सहमति है — जहां एक धर्म के नेता के बलिदान को दूसरे धर्मों के लोग भी सम्मान दे रहे हैं। नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और अन्य एनसीआर शहरों में भी शिक्षा संस्थान बंद रहेंगे। यह एक दुर्लभ मौका है जब एक सिख गुरु के बलिदान को भारत के पूरे उत्तरी हिस्से में एक साथ मनाया जाएगा।गुरु तेग बहादुर जी: जिन्होंने धर्म के नाम पर अत्याचार का विरोध किया
"हिंद की चादर" के नाम से जाने जाने वाले गुरु तेग बहादुर जी ने 1675 में एक ऐसा काम किया जिसे आज भी इंसानियत का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है। जब औरंगजेब ने कश्मीरी पंडितों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर करना शुरू किया, तो गुरु जी ने उनकी रक्षा के लिए खुद को खतरे में डाल दिया। उन्होंने कहा — "अगर आप धर्म की रक्षा नहीं कर सकते, तो आप इंसान नहीं, बल्कि एक शक्ति हैं।"उन्हें गिरफ्तार किया गया, तीन महीने तक जेल में रखा गया, और फिर सार्वजनिक रूप से बर्बरता से शहीद कर दिया गया। उनकी शहादत ने उस समय के समाज को झकझोर दिया। आज भी, जब कोई धार्मिक स्वतंत्रता के लिए लड़ता है, तो उसकी याद जाग जाती है।
गुरुद्वारा शीश गंज साहिब: शहीदी का पवित्र स्थल
दिल्ली के शीश गंज साहिब में, जहां गुरु तेग बहादुर जी का सिर काटा गया था, इस दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। वहां रात भर कीर्तन होता है, अरदास की जाती है, और लंगर में सभी धर्मों के लोग एक साथ भोजन करते हैं। यह एक ऐसा स्थान है जहां भारत की विविधता की असली शक्ति दिखाई देती है — जहां हिंदू, सिख, मुस्लिम और ईसाई एक साथ खड़े होकर एक व्यक्ति के त्याग को सलाम करते हैं।इस बार, जब 350वां शहीदी दिवस मनाया जा रहा है, तो यह स्थान और भी अधिक भावुक होगा। विशेष रूप से बच्चों के लिए स्कूलों में वीडियो प्रोजेक्शन, नाटक और कविताएं पढ़ी जाएंगी। शिक्षकों को सलाह दी जा रही है कि वे बच्चों को बताएं कि गुरु जी ने क्यों अपना सिर नहीं झुकाया — और क्यों उनका बलिदान आज भी जीवित है।
क्या यह बदलाव भारत के लिए नया है?
नहीं। पहले भी राज्यों ने ऐसे बदलाव किए हैं — जैसे 2023 में बिहार ने गुरु नानक जी के जन्म दिवस की छुट्टी को गुरुद्वारा के अनुसार समायोजित किया था। लेकिन इस बार बदलाव का असर अलग है। यह सिर्फ एक धर्म का त्याग नहीं, बल्कि एक सामाजिक समझ का उदाहरण है। जब एक राज्य एक धर्म के नेता के बलिदान को अपने कैलेंडर में शामिल करता है, तो वह यह बताता है कि उसकी सरकार अलग-अलग धर्मों के बीच की गहरी जुड़ाव को मानती है।यह एक छोटा सा बदलाव है — एक दिन का। लेकिन इसका संदेश बहुत बड़ा है। जब हम एक शहीद के बलिदान को उसके वास्तविक दिन पर मनाते हैं, तो हम उसकी आत्मा को नहीं, बल्कि उसके सिद्धांत को सम्मान देते हैं।
क्या अगले साल भी यही तारीख रहेगी?
हां। अब यह एक नियम बन गया है। उत्तर प्रदेश शासन ने घोषणा की है कि आगे के सालों में भी गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस की छुट्टी 25 नवंबर को ही रखी जाएगी। इसका मतलब है कि अब यह एक स्थायी परंपरा बन गया है। और शायद इसके बाद और राज्य भी इस निर्णय का अनुसरण करेंगे।अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
गुरु तेग बहादुर जी ने 1675 में अपना जीवन बलिदान देकर कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की। उन्होंने यह नहीं माना कि कोई धर्म दूसरे धर्म को बदलने के लिए मजबूर किया जा सकता है। इस बलिदान ने भारत में धार्मिक सहिष्णुता का आधार रखा, जिसे आज भी अखंड रखने की आवश्यकता है।
क्या इस दिन केवल सिख लोग ही छुट्टी पर होंगे?
नहीं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और हरियाणा के सभी सरकारी और शैक्षणिक संस्थान 25 नवंबर को बंद रहेंगे। यह एक राष्ट्रीय स्तर का सम्मान है, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और अन्य समुदायों के लोग भी शामिल हैं। गुरु जी का बलिदान सभी धर्मों के लिए प्रेरणा है।
क्यों 24 नवंबर की जगह 25 नवंबर चुना गया?
गुरु तेग बहादुर जी का शहीद होने का वास्तविक दिन 11 नवंबर 1675 को था, लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार इसे 25 नवंबर के रूप में मनाया जाता है। अधिकारियों ने इस तारीख को चुना ताकि धार्मिक परंपरा का सम्मान हो सके। यह केवल एक तारीख का बदलाव नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक समझ का दर्शन है।
क्या इस बदलाव से शिक्षा में कोई असर होगा?
हां। शिक्षक और छात्र इस दिन गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, साहस और नैतिकता पर विशेष कक्षाएं लेंगे। स्कूलों में नाटक, कविताएं और वीडियो प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। यह बच्चों को त्याग, साहस और धर्म की वास्तविक अर्थव्यवस्था सिखाने का एक अवसर है।
क्या इस दिन को भारत सरकार भी राष्ट्रीय छुट्टी घोषित करेगी?
अभी तक नहीं, लेकिन उत्तर प्रदेश और दिल्ली के निर्णय से एक नया आंदोलन शुरू हो सकता है। अगर अन्य राज्य भी इस तारीख को अपनाते हैं, तो भारत सरकार इसे राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने पर विचार कर सकती है। यह एक ऐसा दिन है जो भारत के एकत्व का प्रतीक है।