
39 की कलाकार, 30 के स्टार: इस जोड़ी की कहानी क्या कहती है
एक तरफ स्थापित एब्स्ट्रैक्ट पेंटर और उद्यमी, दूसरी तरफ तेलुगू सिनेमा के लोकप्रिय चेहरे। 39 वर्षीय Zainab Ravdjee और 30 वर्षीय अखिल अक्किनेनी की शादी ने सिर्फ ग्लैमर की वजह से नहीं, बल्कि उनके अलग-अलग पेशों, उम्र के फासले और निजी रास्तों की वजह से भी सुर्खियां खीं चीं। 6 जून 2025 को हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित नागार्जुन के घर पर पारंपरिक तेलुगू रस्मों के साथ दोनों ने सात फेरे लिए। समारोह सीमित मेहमानों के बीच हुआ, लेकिन इसकी चर्चा शहर से बाहर तक फैल गई।
अखिल ने नवंबर 2024 में इंस्टाग्राम पर सगाई का ऐलान करते हुए लिखा था—“Found my forever… हम सगाई कर चुके हैं।” तब से दोनों ने अपनी निजी जिंदगी को कम ही साझा किया, और शादी तक यही अंदाज कायम रखा। रिश्ते की शुरुआत भी उतनी ही सादी थी—घुड़सवारी की ट्रेनिंग के दौरान साथ-साथ समय बिताना, और धीरे-धीरे दोस्ती का भरोसा रिश्ते में बदलना।
शादी में ज़ैनेब ने हाथीदांत रंग की साड़ी के साथ गोल्डन ब्लाउज और हेवी एंब्रॉयडरी वाला पल्लू चुना। डायमंड ज्वेलरी, खासकर कमरबंद, समूचे लुक को क्लासिक टच दे रहा था। तेलुगू परंपरा के मुताबिक 'पुस्तेलु थाडु' (मंगलसूत्र) भी उन्हें पहनाया गया। परिवार की तरफ से बाद में अन्नपूर्णा स्टूडियोज़ में बड़े रिसेप्शन की तैयारी की खबरें आईं, जो अक्किनेनी परिवार का सालों से सांस्कृतिक केंद्र रहा है।
उम्र के फासले और अलग मजहबी पृष्ठभूमि पर सोशल मीडिया पर कई टिप्पणियां आईं। लेकिन इस जोड़े ने इन्हें नजरअंदाज करते हुए रिश्ते को निजी और सम्मानजनक दायरे में रखकर आगे बढ़ाया। परिवारों की मौजूदगी और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुई शादी यह बताती है कि उनके लिए मूल बात भरोसा और साथ है, बाकी शोर-शराबा मोमबत्ती की लौ की तरह पल में बुझ जाता है।

कौन हैं ज़ैनेब रावडजी: कैनवास, परफ्यूम, स्टार्टअप—एक साथ कई सफर
हैदराबाद में पली-बढ़ीं ज़ैनेब रावडजी उद्योगपति जुल्फी रावडजी की बेटी हैं। परिवार का दायरा निर्माण, मनोरंजन जगत और सियासत तक फैला माना जाता है। उनके भाई जैन रावडजी ZR Renewable Energy Pvt Ltd के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं—कंपनी सौर और अन्य स्वच्छ ऊर्जा हल निकालने पर काम करती है। यानी घर-परिवार में बिजनेस माइंडसेट गहरा है, और उसी माहौल में ज़ैनेब ने कला और उद्यम—दोनों रास्तों पर कदम बढ़ाए।
ज़ैनेब की स्कूली पढ़ाई गीताांजलि और नास्र स्कूल जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में हुई। उन्होंने हमस्टेक कॉलेज से फाइन आर्ट्स की पढ़ाई आगे बढ़ाई, जहां डिजाइन और आर्ट की बुनियादी समझ को उन्होंने प्रैक्टिकल प्रोजेक्ट्स में बदला। इसके बाद उनका सफर दुबई और लंदन तक गया—इन शहरों ने उन्हें बहुसांस्कृतिक माहौल, नए कलेक्टर, और आर्ट-मार्केट की धड़कन समझने का मौका दिया। आखिरकार वे मुंबई शिफ्ट हुईं और वहीं अपने करियर को आकार दिया।
एक एब्स्ट्रैक्ट और इम्प्रेशनिस्ट लहजे की पेंटर के तौर पर उनकी पहचान बनी। उनकी पहली बड़ी प्रदर्शनी ‘रिफ्लेक्शंस’ हैदराबाद में लगी, जहां दर्शकों ने उनके रंगों, टेक्सचर और स्पेस की समझ को सराहा। उनके काम में शहरी रफ्तार, निजी यादें और रंगों की परतों में छिपा भाव साफ दिखाई देता है। ऐसी पेंटिंग्स घरेलू कलेक्टरों से लेकर कॉरपोरेट स्पेस तक आसानी से फिट बैठती हैं—यही वजह है कि उनका कलेक्टर-बेस लगातार बढ़ता गया।
ज़ैनेब की कला-यात्रा में एक बड़ा पड़ाव मकबूल फिदा हुसैन से जुड़ाव रहा। हुसैन साहब से सीखने का मौका सिर्फ तकनीक तक सीमित नहीं था—उन्होंने आर्ट की आजादी, विषय चुनने का साहस और कैनवास के साथ ईमानदार होने का तरीका सिखाया। इसी कड़ी में 2004 में हुसैन की फिल्म ‘मीनाक्षी: ए टेल ऑफ थ्री सिटीज’ में ज़ैनेब की मौजूदगी दर्ज हुई—यह उनके कला-परिवेश और नेटवर्क का संकेत था।
कैनवास के बाहर भी उनकी रुचियां अलग राह पकड़ती रहीं। वे एक सेल्फ-टॉट परफ्यूमर हैं—यानी खुशबूओं की दुनिया में उन्होंने खुद प्रयोग कर अपनी समझ बनाई। परफ्यूमरी में बेस, मिड और टॉप नोट्स की केमिस्ट्री समझना, और फिर किसी खास मूड या याद की महक तैयार करना, यह काम समय और सूक्ष्म धैर्य मांगता है। यही सूझ-बूझ आगे चलकर उनके बिस्पोक परफ्यूम प्रोजेक्ट्स तक पहुंची।
त्वचा-संबंधी सलाह और सरल समाधानों पर उन्होंने ‘OnceUponTheSkin’ नाम से इंस्टाग्राम पेज चलाया—जहां रूटीन, इन्ग्रीडिएंट्स और बेसिक केयर पर वे बातें करती रहीं। यह प्लेटफॉर्म स्किनकेयर प्रोडक्ट्स को लेकर एक छोटे लेकिन समर्पित समुदाय से उन्हें जोड़ता रहा। डिजिटल उद्यमों में उनकी यह रुचि बताती है कि वे सिर्फ कलाकार नहीं, मार्केट और ऑडियंस समझने वाली उद्यमी भी हैं।
ज़ैनेब का सोशल मीडिया प्रोफाइल निजी है—यह चुनाव साफ इशारा करता है कि वे लोकप्रियता से ज्यादा अपने काम की शांति और निजी दायरे की कीमत समझती हैं। शादी के बाद भी यही रवैया कायम दिखता है—चमक-दमक से भरे माहौल के बीच दूरी बनाकर रहना आसान नहीं होता, लेकिन वे इसे चुनती आई हैं।
अखिल अक्किनेनी की बात करें तो वे अभिनेता नागार्जुन और अमला अक्किनेनी के बेटे हैं। अक्किनेनी–दत्त परिवार तेलुगू सिनेमा में एक लंबी विरासत रखता है—अन्नपूर्णा स्टूडियोज़ इसी विरासत का संस्थागत चेहरा है। अखिल ने बतौर लीड ‘Akhil’, ‘Hello’, ‘Mr. Majnu’ और ‘Agent’ जैसी फिल्मों में काम किया है। उनकी प्रोफेशनल यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही, और यह शादी उनके निजी जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है।
शादी का ठिकाना जुबली हिल्स का वह घर रहा जहां परिवार के करीबी लोग और मित्र ही शामिल हुए। आमंत्रितों की छोटी सूची और रस्मों की सादगी, दोनों परिवारों की पसंद के मुताबिक रहीं। बाद के रिसेप्शन के लिए अन्नपूर्णा स्टूडियोज़ जैसा स्पेस इसलिए खास है क्योंकि वहां फिल्म बिरादरी, तकनीशियन और परिवार एक साथ मिलकर जश्न मना सकते हैं—यानी पेशे और निजी रिश्तों का संगम।
उम्र का फासला—करीब नौ साल—बहस की वजह बना। लेकिन शादियां हर बार हिसाब-किताब से नहीं चलतीं। जोड़े ने सार्वजनिक नजरों के दबाव से अपनापन बड़ा रखा। दोनों के प्रोफेशन अलग हैं, रफ्तार अलग है—लेकिन साझा जमीन है अनुशासन, घुड़सवारी जैसा धैर्य सिखाने वाला खेल, और कला–खेल–फिल्म की धड़कन से जुड़ा हैदराबाद।
परिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो रावडजी घराने की कारोबारी समझ और अक्किनेनी परिवार की रचनात्मक विरासत एक दिलचस्प मेल बनाती है। एक ओर नवीकरणीय ऊर्जा पर केंद्रित बिजनेस—जहां टेक्नोलॉजी, नीतियां और बाजार की मांग एक साथ काम करती हैं। दूसरी ओर फिल्म, कला और संस्कृति—जहां भावनाएं, कहानी और इमेजरी भविष्य तय करती है। इस मेल में सहयोग, परोपकार और रचनात्मक परियोजनाओं की संभावनाएं नजर आती हैं—चाहे वह आर्ट-एक्ज़िबिशन हों, सांस्कृतिक पहलें हों या सस्टेनेबिलिटी थीम पर आधारित कार्यक्रम।
हैदराबाद खुद इस रिश्ते का तीसरा किरदार है। शहर में पुरानी हवेलियों, चारमीनार के साये और आईटी कॉरिडोर की रोशनी के बीच कला और कारोबार साथ-साथ चलते हैं। जंबाग, बंजारा हिल्स और गोचीबौली जैसे इलाकों में गैलरियों और स्टार्टअप्स की हलचल बताती है कि यह शहर पारंपरिक और आधुनिक दोनों भाषाएं बोलता है—यही भाषा इस शादी और दोनों परिवारों की कहानी में भी सुनाई पड़ती है।
ज़ैनेब की कला-प्रक्रिया पर लौटें तो उनका एब्स्ट्रैक्ट काम रंगों की परतों और बड़े ब्रशस्ट्रोक्स से अपने ही नियम बनाता है। वे अक्सर सीमित पैलेट में तीखे और कोमल टोन मिलाकर संतुलन बनाती हैं—यह संतुलन उनके व्यक्तित्व और उद्यमी फैसलों में भी दिखता है। परफ्यूमरी में भी यही दांव—एक नोट ज्यादा हो तो खुशबू भारी पड़ जाती है, कम हो तो हल्की—ठीक मिश्रण ही चरित्र गढ़ता है।
फिल्म इंडस्ट्री की तरफ देखें तो अक्किनेनी परिवार का नेटवर्क बड़ा है—प्रोड्यूसर्स, एक्टर्स, तकनीशियनों से जुड़े रिश्ते दशकों से बनते-संवरते आए हैं। ऐसे परिवार में नए सदस्य के रूप में कदम रखना आसान नहीं होता, क्योंकि हर कदम सार्वजनिक नजरों में तोल दिया जाता है। ज़ैनेब ने अब तक जिस तरह लो-प्रोफाइल तरीके से अपने काम, प्रदर्शनी और छोटे उद्यमों की लय बनाए रखी है, वही उनका ढंग शादी के बाद भी रहने की उम्मीद जगाता है।
घुड़सवारी की ट्रेनिंग से शुरू हुई इस कहानी में एक सबक है—कुछ रिश्तों की नींव स्टेज पर नहीं, मैदान में गिरते-पड़ते, सीखते-सम्हलते बनती है। स्पोर्ट्स में तालमेल, भरोसा और कम्युनिकेशन बहुत कुछ सिखाते हैं—अक्सर वही चीजें रिश्तों में भी मदद करती हैं। शायद यही वजह है कि दोनों ने रिश्ते को स्पॉटलाइट से ज्यादा अपने रिद्म के मुताबिक आगे बढ़ाया।
सोशल मीडिया की दुनिया में अक्सर शादियां सेट-पीस शो बन जाती हैं। यहां यह समारोह सीमित रहा—न कोई चमकदार लाइव-स्ट्रीम, न कोई दिन-भर का कंटेंट बम। सिर्फ परिवार, कुछ करीबी दोस्त और रस्में—यही सादगी इस शादी की खास बात रही।
आगे की बात करें तो ज़ैनेब के लिए कला और उद्यम दोनों मोर्चे पर नए अवसर खुलते दिखेंगे—हैदराबाद और मुंबई के बीच काम का आना-जाना, संभवतः नई प्रदर्शनी, और परफ्यूमरी के प्रोजेक्ट्स। अखिल के लिए यह समय निजी स्थिरता का है—जिससे प्रोफेशनल फोकस बढ़ना आसान होता है। जहां तक परिवार की बात है, यह रिश्ता अक्किनेनी घराने में कला की एक नई परत जोड़ता है—कई बार कैनवास पर बनने वाले रंग परिवार की दीवारों पर भी अपनी कहानी लिखते हैं।
शादी, कला, कारोबार—इन तीनों के बीच खड़ी ज़ैनेब रावडजी की पहचान किसी एक खांचे में नहीं अटकती। यही उनकी कहानी की खूबी है। और शायद यही वजह है कि शादी के बाद भी चर्चा सिर्फ ‘किससे शादी’ तक नहीं, ‘वह खुद कौन हैं’ तक जाती है—यानी अपनी शर्तों पर बनी पहचान, जो अब एक बड़े परिवार के साथ नए सफर पर है।