धारा 234F: आईटी रिटर्न लेट फाइलिंग का जुर्माना क्या है?

अगर आपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न समय पर (सेक्शन 139(1) के अनुसार) नहीं दिया तो धारा 234F के तहत फ़ीस लग सकती है। सरल शब्दों में यह कानून उन टैक्सपेयर्स पर जुर्माना लगाता है जो निर्धारित समय के बाद रिटर्न फाइल करते हैं। ये जुर्माना स्वतः लग सकता है और बाद में रिटर्न फाइल करने पर कटता है।

धारा 234F की मुख्य बातें

यहां उन बातों का आसान-सा सार है जो आपको तुरंत काम आएगा: जुर्माने की श्रेणियाँ आमतौर पर तय तारीखों पर निर्भर करती हैं — अगर आप डेडलाइन के बाद पर परन्तु उस असेसमेंट ईयर के अंत से पहले फाइल करते हैं तो कम राशि और बाद में अधिक राशि लग सकती है। छोटे करदाताओं के लिए कुछ मामलों में शुल्क की सीमा रखी जाती है। ध्यान रखें कि 234F अलग है—इसे काटने के अलावा बाकी ब्याज (जैसे 234A) अलग से लगते हैं।

जुर्माना आम तौर पर रिटर्न फाइल करते समय दिखता है और कर विभाग उस पर नोटिस भेज सकता है। अगर आपने टैक्स पहले ही जमा कर दिया है तो भी 234F लागू हो सकता है क्योंकि यह रिटर्न की समय सीमा से जुड़ा है, न कि केवल टैक्स पेमेंट से।

कैसे बचें और तुरंत क्या करें

सबसे आसान तरीका है समय पर रिटर्न फाइल करना। पर अगर देर हो गई है तो अभी भी कुछ काम कर सकते हैं: (1) जितना टैक्स बकाया है उसे तुरंत इनमें जमा कर दें—ब्याज कम लगेगा; (2) बेलेट रिटर्न फाइल करें ताकि रिकॉर्ड क्लियर हो; (3) अगर आपकी आय करमुक्त सीमा से कम है तो जुर्माने पर आंशिक राहत मिल सकती है; (4) अगर जुर्माना गलत तरीके से लगाया गया है तो आप रिव्यू/आकर्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

फाइल करते समय ITR फॉर्म में सही साल और विवरण भरें, क्योंकि गलत वर्ष भरने से अलग प्रकार की परेशानियाँ और नोटिस आ सकते हैं। अगर आप ई-फाइलिंग कर रहे हैं तो पोर्टल पर पेमेंट और सबमिट का ट्रैक रखें—कभी-कभी तकनीकी कारणों से भी देरी दिख सकती है।

मजेदार बात यह है कि छोटे टैक्‍सपेयर्स के लिए कुछ स्थितियों में जुर्माने की सीमा सीमित रहती है, इसलिए पहले अपनी कुल आय और नियमों की जांच कर लें। अगर नियम बदल चुके हैं तो अपने कर सलाहकार से तुरंत चर्चा करें—वर्तमान टैक्स नियमों में बदलाव समय-समय पर होते रहते हैं।

यदि आप चाहें तो कम समय में ही रिटर्न फाइल करने की पूरी चेकलिस्ट बना लीजिए: आय के डॉक्युमेंट, टीडीएस सर्टिफिकेट, बैंक स्टेटमेंट, और पेज पर पहले से भरा हुआ आधार नंबर/पैन। इससे फ़ाइलिंग तेज और सटीक होगी और 234F जैसी परेशानियों से बचाव होगा।

यदि और मदद चाहिए तो अपने टैक्स सलाहकार से बात करें—वे आपके केस के हिसाब से बताएंगे कि क्या जुर्माना कटेगा, किस तरह अपील करें या कौन सी तारीखें आपके लिए महत्वपूर्ण हैं।

CBDT ने FY 2024-25 (AY 2025-26) की ITR फाइलिंग की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी। वजह: नए ITR फॉर्म में बड़े बदलाव और TDS क्रेडिट का देर से दिखना। लेट होने पर धारा 234F के तहत 5,000 रुपये तक की फीस (5 लाख तक की आय पर 1,000 रुपये) और लंबित टैक्स पर ब्याज लगेगा। बिलेटेड रिटर्न 31 दिसंबर 2025 तक भर सकेंगे। ऑडिट केसों की डेडलाइन अलग है।